________________
पक्षपात और दोषारोपण। ये बारह मन के दोष हैं, जिनके कारण जीवन की शांति, सद्बुद्धि एवं मस्ती नष्ट हो जाती है। इनमें से एक दोष भी अनर्थ का कारण बन जाता है फिर अधिक होने पर तो कहना ही क्या? एक दोष इंसान को पागल बना देता है इसलिए छोटे से दोष में सावधान रहना चाहिए। ऐसा हुआ, एक पागल आदमी आत्महत्या करने के लिए बिजली के खम्भे पर चढ़ गया, पुलिस और अनेक नेताओं के कहने पर भी वो नीचे आने को तैयार नहीं हुआ, कुछ देर बाद एक दूसरे पागल ने कहा, अगर तू जल्दी से नीचे नहीं आया तो मैं यह खम्बा उखाड़ कर फेंक दूंगा। पहला पागल झट से नीचे आ गया। पत्रकारों के पूछने पर पहले पागल ने बताया कि नेता और पुलिस वाले तो सिर्फ कहते हैं, करते कुछ नहीं। यह तो पागल है, जो कहेगा, वो कर डालेगा।हमारी स्थिति भी ऐसी हो जाती है। फिर किसी भी शुभाशुभ कृत्य का हमें ध्यान नहीं रह पाता
मुख्य प्रश्न है मन कैसे पागल होता है ? उसमें पागलपन की गंदगी कैसे आती है? आपका सोचना सही है जब तक इसका ज्ञान नहीं होगा तब तक शुद्धि की बात कैसे की जा सकती है? ___एक आदमी ने गर्मी के मौसम में बहुत तेज आँधी चलने से घर के सारे दरवाज़े खिड़कियाँ बंद कर दी ताकि मिट्टी आने से घर गंदा न हो जाए, पर घर में घुटन होने से वह बाहर आकर बैठता है । कपड़े गंदे होने से बचे रहे इसलिए कुर्ता-बनियान भी उतार देता है। घर के और कपड़ों के गंदे होने की चिंता में उसका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। सारा शरीर रेत के कणों से भर जाता है, गर्म हवा उसे बीमार कर देती है। सचमुच, हमारा ध्यान घर और कपड़ों पर जाता है, पर स्वयं पर नहीं जाता। ___यही बात हमारे मन के संबंध में है। चारों ओर ख़राब विचारों की आँधी में पाँचों इन्द्रियों के विषयों की गर्म हवा चल रही है और मनुष्य अपने दिमाग़ के कपाट को बंद कर देता है। जिससे मलिन विचार एवं विषयों की गर्म हवा उसके मन को मलिन एवं दूषित कर देती है।
यदि इन्द्रियों से गलत आचरण हो रहा है तो दोष इन्द्रियों का नहीं, मन का है। सही दिशा में दौड़ता हुआ रथ यदि गलत मार्ग पर चला जाता है तो दोष
18 |
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org