________________
चाहिए। हम जैसा चाहते हैं, हमारी नियति हमें वैसा ही नहीं देती। तब फिर निराश होने की बजाय क्यों न जो नियति और प्रकृति हमें देती है, हम उसमें राज़ी होना सीख जाएँ।
जीवन में शांति लाएँ, नई उम्मीद जगाएँ, नया उत्साह जगाएँ, नई ऊर्जा के साथ शांति, सफलता और मुक्ति के रास्ते पर अपना क़दम बढ़ाएँ।
86
|
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org