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मेरे भाई जीवन में एक ऐसा मंदिर अवश्य बनाना जिसके गर्भ गृह में परमात्मा की प्रतिमा हो और जिसके प्रवेश द्वार पर करबद्ध अवस्था में दो मूर्तियाँ और हों जो सदा याद दिलाती रहें आपको अपने माँ-बाप की।
मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में, शीतल छाया तू दुख के जंगल में॥ मेरी राहों के दीये, तेरी दो अंखियाँ, मुझे गीता से बड़ी, तेरी दो बतियाँ। युग में मिलता जो वो मिला है पल में, मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में॥ मैनें आँसू भी दिए पर तू रोई ना, मेरी निंदिया के लिए बरसों सोई ना। ममता गाती रही ग़म के हलचल में, मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में। काहे ना धोके पियें, ये चरण तेरे माँ, देवता प्याला लिए तरसे खड़े माँ। अमृत छलका है, इसी गंगाजल में, मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में॥
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