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रिश्तों में घोलें प्रेम की मिठास
आज हम एक ऐसे बिन्दु पर चर्चा कर रहे हैं जो जीवन में सुख, सौन्दर्य और माधुर्य घोलता है। वह बिन्दु है : प्रेम । प्रेम माता-पिता से हो तो वह प्रेम सेवा बन जाता है। प्रेम संतान से हो तो वह प्रेम ममता और वात्सल्य बन जाता है। प्रेम पति-पत्नी से हो तो वह प्रेम जीवन का रस बन जाता है। प्रेम प्रभु से हो तो वही प्रेम भक्ति और समर्पण बन जाता है। मेरे लिए तो प्रेम स्वयं एक साधना है, व्रत है, धर्म है, जीवन जीने का रास्ता है।
प्रेम हमारी साधना है, प्रेम हमारा पंथ है।
जो भी भरा है प्रेम से, वो ही हमारा संत है॥ मैं प्रेम का पथिक हूँ और अपनी ओर से सभी को प्रेमपूर्वक जीवन जीने का पाठ पढ़ाता हूँ। प्रेम एक ऐसा तत्त्व है जो गूंगे को भी समझ आता है, बहरे को भी उसका अहसास हो जाता है और एक नेत्रहीन व्यक्ति भी प्रेम के सुखद और मधुर स्पर्श का अनुभव कर लेता है। एक नवजात शिशु भी प्रेम की भाषा अवश्य समझ जाता है। बाकी सारे सम्बन्ध जोड़ने के लिए भाषा, शब्द और
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