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________________ ज़रूरत है। साँझ को जब घर पहुँचो, तो अपनी जेब की तरह अपने दिमाग का कचरा जो आप दुकान या दफ्तर से लेकर आए हैं, उसे भी कचरे की पेटी में फेंक दें तब घर में प्रवेश करें। थोड़ा-सा चिड़चिड़ापन, कुछ-कुछ खीझ, थोड़ी-थोड़ी ईर्ष्या जो दुकान पर ग्राहकों से सिरपच्ची करते वक़्त आपके दिमाग में घुस आई है और आप उसे अपने साथ ले आए हैं पहले उसी को कचरापेटी में फेंक दें, तब ही घर में जाएँ। नहीं तो इस कचरे को आप घरवालों पर डालेंगे और अशांति का वातावरण पैदा करेंगे। घर वाले आपकी प्रतीक्षा करते रहते हैं। आप एक अच्छे बेटे, अच्छे पति, अच्छे पिता बनकर घर जाएँ। घरवालों को आपकी बहुत ज़रूरत है। लेकिन वह ज़रूरत तब अच्छी बनेगी जब आप अच्छे इंसान बनकर घर पहुंचेंगे। ___ घर के सभी सदस्य सप्ताह में कम-से-कम एक दिन अवश्य ही साथ बैठकर भोजन करें। इससे आपस में प्रेम और आत्मीयता बढेगी। परिवार से ही समाज का निर्माण होता है, समाजों से देश का निर्माण होता है। परिवार पहली सीढ़ी है, पहली नींव है। जब हर परिवार सुखी होगा तो पूरा नगर भी सुखी होगा। नगर की खुशहाली ईद की तरह होगी, होली-दिवाली की तरह होगी। आज के लिए बस इतना ही। मेरे प्रेमपूर्ण नमस्कार स्वीकार करें। 22/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003879
Book TitleGhar ko Kaise Swarg Banaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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