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साँच, वही दुर्घटनाएँ, वही हत्याएँ, वही बलात्कार । रोज़ इस तरह के समाचार ही अखबार में भरे रहते हैं और इसी तरह टी.वी. में अच्छी चीजें तो कम आती हैं। इस डिब्बे में कचरा कुछ ज़्यादा ही आने लग गया है। टी.वी. में रिसर्च कम, सैक्स ज्यादा है। प्रेरणा कम, खूनखराबा ज़्यादा आता है। अब अगर आप टी.वी. के सैक्सी सीन देखते हुए भोजन करेंगे, तो मानसिकता पर सैक्स ही हावी होगा। बलात्कार का समाचार पढ़ते हुए सुबह की चाय पीएंगे, तो दिमाग की तरंगें भी वैसी ही प्रभावित होंगी। अरे, सुबह की शुरुआत तो प्रभु की प्रार्थना से कीजिए, और रात की शुरुआत माँ-बाप, भाई-बहिन और बच्चों के साथ आमोद-प्रमोद में बिताइए। पढ़ना है तो अच्छी किताबें पढिए और देखना है तो अच्छे धारावाहिक देखिए, पर सावधान ! खाते-खाते न पढ़िए और न देखिए।
स्वास्थ्य के लिए आहार-शुद्धि का पूरा-पूरा ध्यान रखें। जब भी बाजार से चीजें लाएं, उनकी साफ-सफाई का, स्वच्छता का ध्यान रखें। धर्मशास्त्र तीन प्रकार की शुद्धि का उल्लेख करते हैं : एक विचारशुद्धि, दूसरी भावशुद्धि
और तीसरी आचारशुद्धि। मैं चौथी शुद्धि की बात करता हूँ वह है आहारशुद्धि। जो व्यक्ति तामसिक, गरिष्ठ भोजन करेगा वह संयमित न रह सकेगा। स्वाद के लिए खाना नासमझी है, जीने के लिये खाना समझदारी है। संयम की रक्षा के लिए भोजन करना साधना है इसलिए आहारशुद्धि और शरीरशुद्धि का विवेक रखें। हाथ-धोकर ही खाना खाने बैठें, नाखून बढ़े हुए न हों। जब खाना पकाएँ तब भी ध्यान रखें कि नाखून कटे हुए हों अन्यथा नाखूनों में जमा कचरा और गंदगी भोजन में जाएगी, खाते वक़्त भी और बनाते वक़्त भी। यह गंदगी रोगों को आमंत्रण देगी। खाना खाने के आधा घंटे पूर्व और एक घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए। भोजन के बाद पानी न पीएं। यदि पीने की ज़रूरत पड़े तो एक गिलास छाछ पीएं। वह भोजन को पचाने में सहायक होगी।
संतुलित भोजन करें। भोजन के द्वारा ही हमें आवश्यक पोषक तत्त्व मिलते हैं, जो शरीर का निर्माण करते हैं व ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसीलिए हमारे भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम, खनिज लवणों की प्रचुरता वाले खाद्य पदार्थ शामिल हों। चर्बीयुक्त पदार्थों का सेवन न करें। दिनभर खाते न रहें। 118 |
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