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चक्रव्यूह से कैसे निकलें
वासना के
एक बालक अपनी कक्षा में बैठा हुआ किसी खास विषय पर चिंतन कर रहा था। उस समय देश का माहौल आज़ादी के जुनून से भरा हुआ था। बालक विचारमग्न था कि कक्षा- अध्यापक उसके पास पहुँचे और बोले- क्या बात है बेटा, किस बात पर विचार कर रहे हो। बच्चे ने कहा- ऐसे ही किसी खास विषय पर सोच रहा हूँ। अध्यापक ने कहा- क्या तुम आज़ादी के बारे में सोच रहे हो ? बच्चा चौंका और हामी भरते हुए उनकी बात स्वीकार की । अध्यापक ने कहा - लेकिन क्या आज़ादी मिलना इतना आसान है ? बालक खड़ा हो गया और बोला- आज़ादी मिलना आसान तो नहीं है लेकिन आज़ादी मिलने के रास्ते को आसान ज़रूर बनाया जा सकता है। यह घटना शहीद भगतसिंह के जीवन से संबंधित है जो बताती है कि आज़ादी मिलना आसान भले ही न हो, उसके रास्तों को आसान ज़रूर बनाया जा सकता है।
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किसी भी व्यक्ति के लिए मुक्ति, निर्वाण या सत्य से साक्षात्कार करना इतना सरल काम नहीं है जितना कि समझा जाता है । भले ही यह कठिन हो
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