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उदय और विलय में आ रहा है, उस प्रकृति के प्रति साक्षी होने का मार्ग देता है। हमें केवल दर्शन करना है, केवल ज्ञान करना है अर्थात् दर्शन मात्र रहे, ज्ञान मात्र रहे, शेष सब प्रश्रब्ध शान्त होता जाए।
आप सभी आनापान-योग में प्रवेश करें। नमस्कार ।
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