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विपश्यना : आखिर क्या है ?
'विपश्यना' जीवन की आन्तरिक और आध्यात्मिक सच्चाइयों से मुलाकात करने का साधनामूलक मार्ग है। यह स्वानुभूति का मार्ग है। 'विपश्यना' शब्द का अर्थ है विशेष रूप से किसी भी सत्य को भलीभाँति देखना
और जानना। ‘पश्य' का अर्थ है देखना और 'विपश्य' अर्थात् विशेष प्रकार से देखना। हज़ारों वर्ष पूर्व भगवान महावीर और भगवान बुद्ध ने अनेक बार इस शब्द का प्रयोग किया है। महावीर जिसे 'अनुपश्यना' कहते हैं, उसी को बुद्ध 'विपश्यना' कहते हैं। ‘अनुपश्यना' अर्थात् लगातार देखना और 'विपश्यना' अर्थात् विशेष रूप से देखना । इस मार्ग पर चलकर अनेक लोगों ने संबोधि का प्रकाश उपलब्ध किया है, अपने जीवन में ‘अर्हता' को प्राप्त किया है, अनेक लोग सिद्ध, बुद्ध, मुक्त और अरिहंत हुए हैं।
मुझे यह मार्ग विश्व की सबसे सरल पद्धतियों में प्रतीत होता है। समझ में आने पर इससे सरल अन्य कोई मार्ग नहीं हो सकता। 'विपश्यना' वह मार्ग है, जिसे बच्चा, युवक या बुजुर्ग सभी अपना सकते हैं। इस मार्ग में हम उन अज्ञात
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