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________________ ४८ इक साधे सब सधे विचारों को अच्छे विचारों के द्वारा संस्कारित करें, जैसे ज़हर को अमृत के द्वारा संस्कारित किया जाता है। हम अपने विचारों को ऊँचा बनाएँ, ऊँचा उठाएँ । सौन्दर्य से प्रेम करें, अपने विचारों को सुंदर बनाएँ । सौन्दर्य बुरी चीज नहीं है, सौन्दर्य तो प्रभु का वरदान है । लेकिन सौन्दर्य का यह अर्थ नहीं कि किसी सुन्दर चेहरे को देखकर मन में विकृति लाओ। किसी अच्छे संगीत को सुनकर अपने होशोहवास ही खो बैठो, अच्छी खुशबू के पीछे फूलों को डाल से ही अलग कर दो। जो सौन्दर्य से प्रेम करने वाला है, अनिवार्यत: शिवत्व से प्रेम करेगा ही, सत्य से प्रेम करेगा ही। वह उसी सौन्दर्य से प्रेम करेगा जिसमें शिव और सत्य का निवास होगा। वह सौन्दर्य ही क्या जो मिथ्या हो, जिस पर कृत्रिमता का आवरण हो। हमारा हर कृत्य सुन्दर होना चाहिए, हर विचार सुंदर होना चाहिए। सत्यम्-शिवम्-सुंदरम् का अपने जीवन में आचमन करने वाला व्यक्ति हिंसा नहीं करेगा, चोरी नहीं करेगा। हिंसा स्वयं में कुकृत्य है । सुकृत्य हो तो सौन्दर्य होगा, लेकिन कुकृत्य है इसलिए उसमें सौन्दर्य का निवास भी नहीं है। अपने जीवन को सौन्दर्यमय बनाइए, हर कुकृत्य से, हर असत् विचार से जीवन को बचाइए। अगर तुम चाहते हो ऊँचे विचारों के स्वामी बनें तो पहली बात यही कि तुम आवेश या उद्वेग में विचार मत करो। जिस क्षण तुम्हें लगता है कि तुम तनाव से ग्रस्त हो, किसी भी बिंदु पर निर्णय मत करो। अगर लगता है कि इस समय हमारा दिमाग़ निर्णय लेने में पूरी तरह समर्थ नहीं है, तो स्पष्ट कह दो कि अभी मैं इस बिंदु पर विचार नहीं करना चाहता। अभी मेरा मस्तिष्क अस्वस्थ है। तनाव, आवेश या उद्वेग की दशा में जब भी सोच-विचार करने के लिए बैठोगे, आपका सोच-विचार पूरी तरह से गलत होगा। तब आपका कोई भी निर्णय सही निर्णय नहीं हो सकता। तब वह निर्णय आपके आवेश का होगा, आपके क्रोध का होगा, वह अभिव्यक्ति आपके उत्तेजना की होगी। निर्णय देने से पहले दूसरे पक्ष को भी ध्यान पूर्वक सुना जाए । घर पहुँचे और पता चला कि आपकी पत्नी आपकी माँ के बारे में उल्टा-सीधा कह रही है, आपने पूरा सुना-न-सुना और इस निर्णय पर पहुँच गए कि माँ गलत है। तुम माँ पर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003858
Book TitleEk Sadhe Sab Sadhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1997
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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