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इक साधे सब सधे
प्रकम्पनों का अनुभव होगा । लगभग दस-पन्द्रह मिनट तक अपने सहज स्वरूप में निमग्न रहें ।
पंचम चरण की अन्तिम स्थिति है - जीवन की अस्तित्वगत अशांति का सम्पूर्ण समाधान, समस्त चिन्ताओं से मुक्ति और सच्चिदानन्द स्वरूप में अन्तरलीनता, अहोदशा । जब तक यह लीनता बनी रहे, तब तक डूबे रहें ।
सामान्य स्थिति में आने के लिए तीन गहरे साँस लें । हथेलियों को जोर से रगड़कर हल्के से आँखों पर रखें। हाथों में प्रवाहित हो रही ऊर्जा का अनुभव करें । हाथ आँखों से हटाकर धीरे-धीरे आँखें खोलें । जो भी प्राणी या व्यक्ति सर्वप्रथम सामने नजर आए उसे प्रभु-रूप मानकर मुस्कराकर प्रणाम अर्पित करें ।
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भाव - उत्सव
आत्मिक आनंद में डूबकर सामूहिक रूप से सस्वर 'भाव - गीत' का पाठ करें जो मैत्री, करुणा, प्रमुदितता और समता की हम पर अमृत वृष्टि करता
है
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भाव - गीत :
परम प्रेम की रहे प्रेरणा, हृदय हमारा रोशन हो ।
मैत्रीभाव के मधुर गीत से,
सारी धरती मधुवन हो ।
खुद जिएँ सुख से, औरों को
सुख पहुँचाने का प्रण हो ।
हंसता- खिलता हो हर चेहरा, स्वर्ग सरीखा जीवन हो ||
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