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ध्यानयोग विधि- १
योगाभ्यास
जीवन का सम्मान करें हम,
जीवन में भगवान् निहारें ।
रूपांतरित करें जीवन को
जीवन को ही स्वर्ग बनाएँ ।
मन- मंदिर में,
मानवता के सम्बोधि का दीप जलाएँ ।
अन्तर्-शून्य उजागर करके,
आनन्द- अमृत से भर जाएँ ॥
भीतर की नीरवता पाकर, ध्यान - प्रेम की बीन बजाएँ ।
अपने मन की परम शान्ति को, सारी धरती पर सरसाएँ ॥
शरीर शुद्धि
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१५ मिनट
योगाभ्यास शारीरिक और मानसिक तनाव - मुक्ति के लिए सहज-सरल उपयोगी क्रियाएँ हैं । ध्यान में उतरने के लिए दो बातें सहायक हैं
१. शारीरिक जड़ता की समाप्ति ।
. २. शारीरिक स्थिरता की प्राप्ति ।
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ध्यान-मार्ग पर पहले-पहल कदम बढ़ाने वालों का न केवल चित्त चंचल होता है, वरन् उनमें शारीरिक स्थिरता और स्वस्थता का भी अभाव होता है । ध्यान की गहराई में जाने की बजाय तंद्रा में डूब जाने की संभावना रहती है
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शरीर माध्यम है और माध्यम का स्वस्थ, निर्मल और अनुकूल होना आवश्यक है। ध्यान की प्रारंभिक अवस्था में दैनंदिन अभ्यास के लिए
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