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________________ ध्यानयोग विधि- १ योगाभ्यास जीवन का सम्मान करें हम, जीवन में भगवान् निहारें । रूपांतरित करें जीवन को जीवन को ही स्वर्ग बनाएँ । मन- मंदिर में, मानवता के सम्बोधि का दीप जलाएँ । अन्तर्-शून्य उजागर करके, आनन्द- अमृत से भर जाएँ ॥ भीतर की नीरवता पाकर, ध्यान - प्रेम की बीन बजाएँ । अपने मन की परम शान्ति को, सारी धरती पर सरसाएँ ॥ शरीर शुद्धि Jain Education International - १५ मिनट योगाभ्यास शारीरिक और मानसिक तनाव - मुक्ति के लिए सहज-सरल उपयोगी क्रियाएँ हैं । ध्यान में उतरने के लिए दो बातें सहायक हैं १. शारीरिक जड़ता की समाप्ति । . २. शारीरिक स्थिरता की प्राप्ति । १०९ ध्यान-मार्ग पर पहले-पहल कदम बढ़ाने वालों का न केवल चित्त चंचल होता है, वरन् उनमें शारीरिक स्थिरता और स्वस्थता का भी अभाव होता है । ध्यान की गहराई में जाने की बजाय तंद्रा में डूब जाने की संभावना रहती है 1 शरीर माध्यम है और माध्यम का स्वस्थ, निर्मल और अनुकूल होना आवश्यक है। ध्यान की प्रारंभिक अवस्था में दैनंदिन अभ्यास के लिए For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003858
Book TitleEk Sadhe Sab Sadhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1997
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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