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इक साधे सब सधे
भाव-शुद्धि प्रार्थना
१० मिनट सभी साधक पंक्तिबद्ध बैठ जाएँ, एक दूसरे से पाँच फीट की दूरी बनाए रखें । करबद्ध होकर 'नमस्कार-महामंत्र' का तीन बार सस्वर पाठ करें।
नमस्कार महामंत्र
णमो
अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं एसो पंच णमुक्कारो सव्व पावप्पणासणो
मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवई मंगलं ।* ध्यान-भावना की समृद्धि के लिए अब हम भावपूर्वक जीवन-गीत गाएँ। जीवन-गीत का भावार्थ हृदय में उतारते हुए सस्वर पाठ करने से आध्यात्मिक संकल्प और अहोभाव का विकास होता है, ध्यान में उतरने की भावनात्मक भूमिका निर्मित होती है।
जीवन-गीत मानव स्वयं एक मंदिर है, तीर्थ रूप है धरती सारी। मूरत प्रभु की सभी ठौर है,
अन्तर्दृष्टि खुले हमारी ।। * भावार्थ : अर्हत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधुजनों को नमस्कार हो। यह पंच
नमस्कार समस्त पापों का नाश करने वाला और सर्व मंगलों में प्रथम मंगल-रूप है।
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