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________________ लोगस्स अर्थसहित. ४५ यें. एवी रीतें सर्व तीर्थंकरोना प्रथम सामान्यार्थ ने वीजा विशेषार्थ नामो जावा. एमनी विनीता नगरी, नाजिराजा पिता, श्रीमरुदेवी माता, पां चशे धनुष्यप्रमाण शरीर, चोराशी लक्षपूर्वायु, सुवर्णवर्ण देह, वृषन लांबन. २ बीजा श्री जितनाथ ने हुं बांड बुं, अजित एटले परिसहा दिकें करी निर्जित तथा जगवाननां माता, पिता प्रथम कोइ वारें द्यूतरमण करतां हतां, तेवारें राणी बाजी हारी जती हती, धने राजानी जीत यती हती, अने जगवान्, गर्ने याव्या पढी जगवाननी माता जीतवा लागी ने राजा हारवा लाग्यो. एवो गर्जनो महिमा जाणी ने य जितनाथ नाम दीधुं, एमनी अयोध्या नगरी, जितशत्रु राजा पिता, विजया राणी माता, सामा चारशें धनुष्यप्रमाण शरीर, बहतेर लक्ष पूर्वायु, सुवर्णवर्ण देह, हस्ती लांबन. ३ त्रीजा श्री संजवनाथने हुं वांडु तुं, एटले प्रकर्षे करीने चोत्री प्रतिश नागुणो जेने विषे ते माटे संभव कहियें, अथवा जे, ए प्रजुनी स्तुति करेबे, तेने ( सं के० ) सुख ( जव के० ) थाय बे, तेमाटे संभव कहियें, तथा जगवान् गर्जगत ये थके अधिक सस्य एटले धान्यनो संभव थयो माटे संभव कहियें, एटले देशमां दौर्जिक्ष्य हतुं, ते जगवान् गर्ने थाव्याथी चिंतव्यो मेह वृगे, धान्यनां वहाणो आव्यां, चिंतव्यो पृथिवीमां धान्यनो संजव थयो, तेथी संजव नाम दीधुं, एमनी श्रावस्ती नगरी, जितारिराजा पिता, सेना राणी माता, चारशें धनुष्य प्रमाण शरीर, शाठ लाख पूर्वायु, सुवर्णवर्ण देह, अश्व लांबन. ४ चोथा श्री जिनंदन प्रजुने हुं बांड बुं. एटले (च के०) वली देवेंद्रा दिकोयें जेमनुं जिनंदन थाय बे, तेथीा जिनंदन तथा प्रभु गर्ने याव्या तिहांथी यारंजी ने प्रतिक्षण शक्राजिनंदन वे, एटले गर्ने थाव्या पठी इंड महाराज श्रावस्ती स्तवीने जता. अर्थात् अनिंद्या, प्रशंस्या ते माटे जिनंदन नाम, मात पितायें दीधुं, एमनी अयोध्या नगरी, संवरराजा पिता, सिद्धार्था राणी माता, सामात्रशें धनुष्य प्रमाण शरीर, पच्चाश लाख पूर्व आयु, सुवर्णवर्ण देह, वानर लांबन. ५ पांचमा श्री सुमतिनाथने हुं वांडु तुं. (च के०) वली शोजन बे मति जेमनी तथा प्रभु गर्ने श्राव्याथी तेमनी जननीनी सुनिश्चित जली मति बे, तेवी रीतें के, एक वणिकनी वे स्त्रीयो हती, तेमां न्हानी ने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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