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प्रतिक्रमण सूत्र. व्याण कह्यां वली ॥ ॥ नरपति मौनपणे उपवास, दोढशो जपमाला ग णो ॥ नरपति मन वचकाय पवित्र, चरित्र सुणो सुव्रत तणो ॥ ७ ॥ नर पति दाहिण धातकी खंग, पश्चिम दिशि श्डुकारथी ॥ नरपति विजय पाटण अनिधान, साचो नृप प्रजापालथी ॥ ए ॥ नरपति नारी चंद्राव तीतास, चंडमुखी गजगामिनी ॥ नरपति श्रेष्ठी शूर विख्यात, शियलस लीला कामिनी ॥ १० ॥ नरपति पुत्रादिक परिवार, सार नूषण चीवर धरी ॥ नरपति जाये नित्य जिनगेह, नमन स्तवन पूजा करे ॥ ११ ॥ नरपति पोषे पात्र सुपात्र, सामायिक पोषध वरे ॥ नरपति देववंदन श्रा वश्यक, काल वेलायें अनुसरे ॥ १५ ॥ इति ॥
॥ ढाल बीजी ॥ ॥ एकदिन प्रणमी पाय, सुव्रत साधु तणारी ॥ विनये विनवे शेठ मुनिवरकरि करुणा री ॥१॥ दाखो मुफ दिन एक, थोमो पुण्य कीयो री॥ वाधे जिम वमबीज, शुज अनुबंधी थयो री ॥२॥ मुनि नासे महाना ग्य, पावन पर्व घणां री ॥ एकादशी सुविशेष, तेहमां सुण सुमनारी ॥३॥ सीत एकादशी सेव, मास अग्यार लगें री॥ अथवा वरस ग्यार, उज वी तपशुं वगेरी ॥४॥ सांजली सशुरु वेण, आनंद अति उबस्यो री ॥ तप सेवी उजवीय, श्रारण स्वर्ग वस्यो री ॥५॥ एकवीश सागर आय, पाली पुण्यवशें री॥ सांजल केशवराय, आगल जेह थशे री ॥६॥ सौरी पुरमा शेठ, समृद्धदत्त वडो री ॥ प्रीतिमती प्रिया तास, पुण्यजोग चड्यो री ॥७॥ तस कूखें अवतार, सूचित शुज स्वपनें री॥ जनम्यो पुत्र पवित्र, उत्तम ग्रह शकुनें री ॥॥ नाल निक्षेप निधान, नूमि थी प्रगट हवो री ॥ गर्नदोहद अनुनाव, सुव्रत नाम ठव्यो री ॥ ए॥ बुद्धि उद्यम गुरु जोग, शास्त्र अनेक जण्यो री ॥ यौवनवय अग्यार, रूप वती परण्यो री॥१०॥ जिन पूजन मुनिदान, सुव्रत पच्चरकाण धरे री॥ अगीयार कंचन कोमि, नायक पुण्य नरेरी ॥ ११॥ धर्मघोष अणगार, तिथि अधिकार कहे री॥ सांजली सुव्रत शेउ, जातिस्मरण लहेरी॥ .१२ ॥ जिनप्रत्यय मुनि शाख, जक्तं तप उच्चरे री एकादशी दिन आउ, पहोरो पोसो धरे री॥१३॥ इति ॥
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