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स्तवनानि.
॥ ढाल त्रीजी ॥
पत्नी सयुतें पोसह लीधों, सुव्रतशेतें अन्यदा जी || अवसर जाणी तस्कर याव्या, घरमा धन लूटे तदा जी ॥ १ ॥ शासन नक्ते देवी शक्ते थंजाणा ते बापडा जी ॥ कोलाहल सुणी कोटवाल आव्यो, नूप आगल धस्या शंकमा जी ॥ २॥ पोसह पारी देव जुहारी, दयावंत लेइ भेटणां जी ॥ रायने प्रणमी चोर मुकावी, शेठें कीधां पारणां जी ॥ ३ ॥ अन्य दिवस विश्वा नल लागो, सोरीपुरमा खाकरो जी || शेठजी पोसह समरस बेटा, लोक कहे कां करो जी ॥ ४ ॥ पुण्यें हाट वखारो शेवनी, उगरी सहु प्रशं सा करे जी ॥ हरखे शेठजी तपजजमणं, प्रेमदा सायें आदरे जी ॥ ५ ॥ पुत्रने घरनो जार जलावी, संवेगी शिर सेहरो जी ॥ चडनाणी विजयशेखरसूरिपासें, तप व्रत आदरे जी ॥ ६ ॥ एक खटमासी चार चौमासी, दोसय ब सो वम करे जी ॥ बीजां तप पण बहुश्रुत सुव्रत, मौन एकादशी व्रत धरे जी ॥ ७ ॥ एक अधम सुर मिथ्यादृष्टि, देवता सुव्रत साधुने जी ॥ पूर्वोपार्जित कर्म उदेरी, अंगें वधारे व्याधिने जी ॥ ८ ॥ कर्मे न डियो पापें जमियो, सुर कहे जार्ज औषध जणी जी ॥ साधु न जाये रोष जराये, पाटु प्रहारें हट्यो मुनि जी ॥ ५ ॥ मुनि मन वचन काय त्रियोगें, ध्यान अनल दहे कर्मने जी ॥ केवल पामी जितपद रामी, सुव्रत नेम कहे श्यामने जी ॥ १० ॥
॥ ढाल चोथी ॥
कान पयंपे नेमने ए ॥ धन्य धन्य यादव वंश, जिहां प्रभु अवतस्या ए ॥ मु मनमानसहंस, जीयो जिन नेमने ए ॥१॥ धन्य शिवादेवी माव
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ए, समुद्र विजय धन्य तात ॥ सुजात जगतगुरु ए, रत्नत्रयी श्रवदात ॥ ॥ ज० ॥ २ ॥ चरण विराधी उपन्यो ए, हुं नवमो वासुदेव ॥ ज० ॥ तिणें मन नवि उसे ए, चरणधर्मनी सेव ॥ ज० ॥ ३ ॥ हाथी जेम कादव गढ्यो ए, जाणुं उपादेय देय ॥ ज० ॥ तो पण हुं न करी शकुं ए, डुष्ट कर्मनो नेय ॥ ज० ॥ ४ ॥ पण शरणं बलीया तणुं, ए कीजें सीके काज ॥ ज० ॥ एहवां वचनने सांजली ए, बांहे ग्रह्यानी लाज ॥ ५ ॥ नेम कहे एकादशी ए, समकित युत आराध ॥ ज० ॥ थाश
ज० ॥
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