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प्रतिक्रमण सूत्र. अनदय (विग के०) विग बे, तेना सर्व मली उत्तर नेद (बार के०) बार थाय ते सर्व नामपूर्वक पागल कहेशे ॥ २५ ॥
हवे प्रथम उ जदय विगश्ना एकवीश नेद व्यक्त करी कहे . खीर घय दहि अ तिल्लं, गुड पकनं जनक विगईन ॥ गो मदिसि टि अय ए,लगाण पण अह चउरो॥३०॥
अर्थः-प्रथम उ जदय विगयनां नाम कहे जे. एक (खीर के०) दूध. बीजो (घय के०) घृत, त्रीजो ( दहि के०) दधि, (अ के०) वली चो थो ( तिनं के० ) तैल, पांचमो ( गुम के ) गोल, बहो (पक्कान्नं के०) प क्वान्न, ए ( के०) ( नरकविग के०) जदय विगय जाणवा. एटले ए उ विगई जे जे ते साधु तथा श्रावकने लक्षण करवा योग्य वे माटें एने जय विगय कह्या, हवे ए ड जदय विगयना उत्तर दनां नाम कहे .
तिहां प्रथम दूधविगयनुं नाम कमु डे माटें दूधना उत्तर नेद कही दे खाडे जे. एक ( गो के०) गायतुं दूध, बीजुं ( महिसी के०) नेषनुं दूध, त्रीजुं ( उंटि के ) उंटमीनुं दूध, चोथु (अय के०) अजा एटले बालीनु दूध, पांच, (एलगाण के०) एमका ते गामरीन दूध ए ( पण के ) पांच जातिनां (उस के ) दूध ते सर्व विगई जाणवां, अने शेष मनुष्यणी तथा बीजा पशुआदिकनां जे खीर थाय बे ते विगश्मां गणाय नही. (अह के०) अथ एटले हवे (चजरो के०) चार जातिनुं घृत तथा चार जातिनुं दहीं कहे ॥ ३० ॥ घय दहिया नहि विणा, तिल सरिसव अयसिल तिल्ल चक ॥ दवगुड पिंमगुडा दो, पकन्नं तिल्ल घय तलियं ॥३१ ॥ दारं ॥५॥
अर्थः-प्रथम (घय के० ) घृत जाणवू, बीजी (दहिया के०) दधिजा णवू, ए बे विगश्ना एक ( उहिविणा के ) ऊंटमीना दूध विना बाकी चार चार नेद जाणवा. केम के उंटडीनुं दूध जमाय नही माटे ते विना बाकी चार, एक गायना दहीनुं घी, बीजुं नेषना दहीनुं घी, त्रीजु बालीना दहीनुं घी, अने चोथु गामरना दहीघी, ए चार नेद घृतना जाणवा तथा दहीना पण एज चार नेद. एक गायना दूधनुं दही, बीजुं नेषना
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