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________________ მმს प्रतिक्रमण सूत्र. डीएम एकेकने यांतरे णवार ऋण ऋण कोमा करवाने त्रण वारण प्रमार्द्धना करवी. एवी रीतें त्रण वार करतां ( नव के० ) नव अकोडा खंखेरवा रूप थाय. अने ( नव के० ) नव परकोमा प्रमाऊंना एटले पूंजवा रूप याय. मली अढार परिलेहणा याय तेनी सायें पूर्वोक्त सात मेलवीयें, तेवारें सर्व मली ( मुहपत्ति के० ) मुहपत्तिनी पहिला ( पणवीसा के० ) पच्चीश थाय ॥ २० ॥ हवे ढार मिलेहणा करतां एकेका त्रिके शुं शुं मनमां चिंतवियें ? ते कड़े बे. पहेला त्रण कोमामां सुदेव, सुगुरु छाने सुधर्म, ए ऋण तत्त्व यादरुं, पीत्रण प्रमार्जनामां कुदेव, कुगुरु ने कुधर्म, एत्रण परिहरु, बीजात्र कोमामां ज्ञान, दर्शन अने चारित्र, ए त्रण यादरुं, पढी त्रण प्रमा नामां ज्ञानविराधना दर्शनविराधना अने चारित्रविराधना ए त्रण परिहरु, त्रीजा त्रण कोमामां मनोगुप्ति, वचनगुप्ति ने कायगुप्ति ए गुप्ति याद, पठी त्रण प्रमार्जनामां मनोदंग, वचन, अने काय दंग, एत्रण दंग परिहरु, एवी रीतें मनमां चिंतव, ए क्रिया करवानी मुह पत्ति एक वेंतने चार अंगुल आत्म प्रमाणनी जोइयें अने रजोहरण तथा चरवलो बत्री अंगुलनो जोइयें तेमां चोवीश गुलनी दांगी गुलनी दशी जोइयें अथवा न्यूनाधिक करी होय तो पण सरखाले वत्रीश चंगुल जोइयें, ए पच्चीश पडिलेहणा स्त्री पुरुष बेहुयें करवी. ए गारमु द्वार थयुं, अने उत्तर बोल पच्चाएं यया ॥ हवे शरीरनी पच्चीश पडिलेहणानुं बारमुं द्वार कहे बे. पायादिणे तिच्यति, वामेच्छर बाहु सीस मुद दिय ए ॥ सुट्ठादो पिठे, चन बप्पय देद पणवीसा ॥ २१ ॥ :- ( पाया हि के० ) प्रदक्षिणायें एटले प्रदक्षिणा करी एक (वाम के०) मा (बाहु के०) बाहु ने बीजं (र के०) इतर ते जमणे बायें तथा त्री (सीस के०) मस्तकें, चोथुं ( मुह के० ) मुखें ने पां च (हिए के० ) हीयाने विषे ए पांच वामे ( तिति के० ) त्रण त्र वारकरी एटले मुहपत्तिने वधूटकनी पेरें ग्रहण करीने वा मनुजादिक पांच स्थानके फेरववी तेवारें पन्नर प मिलेहण याय, अने (अं For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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