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________________ ४२२ प्रतिक्रमणसूत्र. हवे शोल आगार- उंगणीशमुं द्वार कहे . अन्नबयाइ बारस, आगारा एवमाश्या चनरो ॥ अगणि पणिदि बिंदण, बोही खोना मकोय ॥५॥ दारं ॥१॥ अर्थः-(अन्नव्या बारस आगारा के०) अन्नबयादि बार आगार एट ले अन्नबनससिएणंथी मांमीने सुहुमेहिदिहिसंचालेहिं पर्यंत बार आगार जाणवां. तेनां नाम कहे . पहेलो जंचो श्वास लेवे, बीजुं नीचो श्वास लेवे, त्रीजुं खांसी ऊध्रस आवे, चोथु बींक आवे, पांचमुं बगासुं आवे,हुं उनकारते ऊर्ध्ववात आवे, सातमुंअधोवात आवे,आठमुं नमरि आवे,नवमुं वमन पित्त मूळ आवे,दशमुं सूक्ष्म अंगस्फुरकणथी, अगीयारमुंखेलसिंघाण नामक मेल संचारथी, बारमुं दृष्टि प्रमुख संचारथी काउस्सग्ग न नांगे. तथा ( एवमाश्या चउरो के० ) एवमादिक चार आगार कहे ने एक (अगणि केण) अग्निनो उपध्व उपने थके तिहांथी पूंजतो अलगो जाय अथवा दीवा प्रमुखनी उजेई यातां तथा अग्निनो स्पर्श थतो होय तेवारें काउस्सगमांहे कपमाथी शरीर ढांके, अथवा पूंजतो अलगो जश् रहे, बीजु ( पणिं दिविंदण के०) पंचेंजियबिंदन पंचेंजियनुं बेदन यतुं होय अ थवा मूषकादिक पंचेंघिय जीव, ते स्थापनाचार्य अने पोतानी वचमां जाता होय, तेवारें पूंजतो अलगो जश रहे, तो काउस्सग्गजंग न थाय. त्रीजु (बोहीखोना के० ) बोधिदोनादि ते जिहां राजा अथवा चो रादिक मनुष्य तेना परानवें करी पठी धर्मनी दोनणा थाय माटें काउ स्सग्गमांहे तिहांथी अलगो जश रहे तो काउत्सग्ग नंग न थाय, चोथु ( मकोय के० ) मक ते साप प्रमुखना झंकना नयें करी अथवा साप प्र मुख पासें आवतो होय तो तेना नयथी अलगुं जवू पडे, तेथी काज स्सग्ग जंग न थाय, ए शोल आगारनुं जंगणीशमुं छार थयु. उत्तर बोल २०३६ थया ॥ ५५ ॥ हवे काउस्सग्गना उंगणीश दोष त्यागवा, तेनां नामनुं वीशमुं छार कहे जे. घोडग लय खंनाई, मालु ही निअल सबरि खलिण वढू ॥ लंबुत्तर थण संजश, नमुदंगुलि वायस कविठे ॥५६॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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