SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 413
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देववंदन नाष्य अर्थसहित. ३५३ हवे बहुं त्रणे दिशि जोवाथी निवर्त्तवानुं त्रिक कहे जे. जहादो तिरिआणं, तिदिसाण निरकणं चश्मदवा ॥ पत्रिम दादिण वामण, जिण मुद नब दिहि जुर्ज ॥१३॥ अर्थः-श्रीजिनप्रतिमा जुहारतां प्रजु उपर एकांत ध्यान राखवा निमि तें एक (उठा के०) ऊर्ध्व दिशि, बीजी (अहो के०) अधोदिशि अनेत्री जी (तिरियाणं के०) तीर्जी दिशि, ते आई अवयूँ ए (तिदिसाण के०) त्रण दिशिनुं ( निरकणं के ) जोवु ( चश्ज के ) बांगq एटले वर्जन करवू. (अहवा के०) अथवा (पलिम के०) पाबली पूंनी दिशियें (दाहि ण के०) जमणी दिशियें तथा (वामण के०) माबी दिशियें एटले जे दि शायें श्रीनगवंतनी प्रतिमा होय, ते दिशि टालीने शेष पूंनी बाजु तथा जमणी बाजु अने माबी बाजु, ए त्रण दिशायें जोबानुं वर्जन करवू, मात्र (जिणमुह के०) श्री जिनेश्वरना मुखनेविषे पोतानी (दिहि के) ह ष्टिने (नब के०) न्यस्त एटले स्थापी राखेली होय, तेणे करी (जु के०) युक्त एटले सहित एवो थको वंदन करे. एटले जिनप्रतिमा उपर पोतानां लोचन थापी एकाग्र मन करे, परंतु आहुं अवलु अरढुं परहुँ जूवे नहीं. ए बहुंत्रण दिशि निरखण वर्डवानुं त्रिक कयु ॥ १३ ॥ हवे सातमुं पदनूमिप्रमार्जनत्रिक कहे , ते आवी रीतें केः-श्रीजिन वंदनायें शरियावहि पमिकमतां तथा चैत्यवंदन करतां जीवयनने अर्थे रूडे प्रकारें दृष्टिवडे जोश्ने पद स्थापवानी नूमि त्रण वार पूंजवी. तिहां गृहस्थ होय तो वस्त्रांचवें करी पूंजे, अने साधु होय तो रजोहरणे करी पूंजे. ए सातमुं त्रिक थयु. हवे बाग्मुं आलंबनत्रिक अने नवमुं मुसात्रिकनुं स्वरूप कहे जे. वन्नतियं वन्नबा, लंबणमालंबणं तु पडिमाई॥ जोग जिण मुत्तसुत्ती,मुद्दान्नेएण मुद्दतियं ॥१४॥ अर्थः-(वन्नतियं के०) वर्ण त्रिकं एटले वर्णत्रिक ते, कयुं ते कहे . (व नबालंबणं के० ) वर्णार्थालंबनं एटले एक वर्णालंबन, बीजुं अर्थालंबन, तिहां नमोबुंणादिक सूत्र गणतां तेमां आवेला जे हलवा नारे अक्षर ते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy