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पच्चरकाण पारवानो तथा सामायिक लेवानो विधि. ३१
॥ अथ सामायिक पारवानो विधि ॥ ॥ खमासमण देश इरियावहि पमिकमवाथी जावत् लोगस्स सुधी क ही खमा॥श्वाणामुहपत्ती पमिलेहुं कही, मुहपत्ती पडिले हि, खमासमण देश ॥श्वासामायिक पारं. यथाशक्ति वली खमासमण देश, श्वा० ॥ सा मायिक पालुं; तहत्ति कही,पली जमणो हाथ चरवला उपर अथवा कटा सणां उपर थापी,एक नवकार गणी,सामाश्यवयजुत्तो कहियें पड़ी जमणो हाथ थापना सन्मुख सवलो राखीने एक नवकार गणी ऊठवू ॥ इति ॥
॥ अथ पमिलेहण करवानो विधि ॥ ॥ नवकार पंचिंदिय कही इरियावहि पमिकमी स्थापना होय तो नव कार पंचिंदिय न कहेवू.पली तस्सउत्तरी कही, एक लोगस्स अथवा चार नवकारनो कामस्सग्ग करी,प्रगट लोगस्स कही उन्ने पगें बेसी मुहपत्ती, कटासणुं,चवलो,उत्तरासण,धोतीयुं,कंदोरो,आदें पमिलेहवां, पड़ी काजो का हामी,जीव कलेवर सचित्त श्रादे जोवु-पड़ी काजो काहामनार थापनाजी सन्मुख जनो रही इरियावहि पमिकमे,पठी काजो परउववा जग्या शोधी त्रण वार अणुजाणह जस्सग्गो कही,काजो परग्वे, पनी त्रण वार वोसिरे कहे ॥ इति पमिलेहण करवानो विधि ॥
॥अथ देव वांदवानो विधि ॥ ॥ प्रथम इरियावहि पमिकमवाथी मामीने जावत् लोगस्स कही, पनी उत्तरासण नाखीने चैत्यवंदन नमुलुणं कही,थानवमखंडा सुधी अर्कोजय वीधराय कहे वली बीजु चैत्यवंदन करी, नमुनुणं कही जावत् चार थोयो कहीयें,वली नमुनुणं कही जावत् बीजी चार थोयो कहियें बैये, त्यां सुधी बधुं कहे, पठी नमुखुणं तथा वे जावंती कही, एटले जावंति चेश्या तथा जावंत केवि साहु ए बे कही. उवसग्गहरं अथवा स्तवन कही थ को जयवीयराय थानव मखमासुधी कही,पठी चैत्यवंदन कही नमुबुणं कही संपूर्ण जयवीयराय कहेवा. प्रनाते देव वांदवा तेमांमन्ह जिणाणंनी स जाय कहेवी,अने मध्यान्हें तथा सांके देव वांदे तेमां सजाय न कहेवी॥ इति
॥ अथ देवसि प्रतिक्रमण विधि प्रारंजः ॥ ॥ प्रथम सामायिक लीजें पड़ी पाणी वावगुं होय तो मुहपत्ती पमिले
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