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________________ कल्याणमंदिरस्तोत्र अर्थसहित. ३२ (तारयसि के ) तारो बो, ते ( पार्थिवनिपस्य के० ) विश्वना स्वामी अ ने ( सतः के ) सुज्ञ एवा ( तवैव के ) तमोनेज (हि के) निश्चें (यु क्तं के ) युक्त जे. त्यां दृष्टांत कहे जे. जेम पार्थिव जे पृथिविनी मृत्तिका तेथकी उत्पन्न थयेलो एवो ( निप के० ) घट बेते पण पाणी उपर रह्यो बतो तेना पृष्ठदेशमा लागेला जनोने तारे , तेम तमें पण पार्थिवनिप जो माटें तमारी पूंजें वलगेला जनोने संसारसमुपथकी तारो बो, ते यु क्तज . परंतु अहिंयां (चित्रं के० ) एक आश्चर्य बे, ते शुं आश्चर्य ? तोके (यत् के०) जे कारण माटें (विजो के०) हे स्वामिन् ! तमो ( कर्म विपाकशून्यः के) ज्ञानावरणादिक आठ कर्मना विपाक जे फल तेथी शून्यः एटले रहित (असि के०) बो अने पार्थिवनिप जे माटीमय घट डे ते तो कुंजकारादिकृत पचनादिक क्रियायें करी युक्त , तेथी ते कर्मवि पाकशून्य नथी, माटें एटबुंज तमारामां आश्चर्य ३ ॥ ५ ॥ हवे विरोधालंकारगर्मित एवा जिनना अचिंत्यस्वरूपने कहे डे विश्वेश्वरोऽपि जनपालक उर्गतस्त्वं, किं वादरप्रकृ तिरप्यलिपिस्त्वमीश ॥अज्ञानवत्यपि सदैव कथंचि देव, ज्ञानं त्वयिस्फुरति विश्वविकाशदेतुः॥ ३० ॥ अर्थः-(जनपालक के ) जन जे लोक तेनुं पालन करे, तेने जनपा लक कहियें. तेना संबोधनमां हे जनपालक ! (त्वं के) तमें (विश्वेश्वरो पि के) विश्व जे त्रण जगत तेना ईश्वर हो तो पण (उर्गतःकेण्) दरिद्धी बो. अहीं जे विश्वनो ईश्वर होय ते दरिडी केम होय? ए विरोधालंकार बे, ते विरोधनो परिहार करे , के तमें विश्वेश्वर बो, तो पण (उर्गतःके०) पुःखें करीने ज्ञात हो जाणवा योग्य बो. अथवा जनपालकऽर्गतः” ए शब्दनां आवी रीतें पद काहामीने अर्थ करवो, जेम केः-(जनप के०) हे जनप ! तमें (अलक के०) केश तेणें करी (उर्गतः के०) दरिद्धी बो, एट ले तमारे दीक्षाग्रहणानंतर केशवृछिनो अन्नाव डे ( वा के० ) अथवा पदांतरे (त्वं के०) तमें (ईश के०) हे स्वामिन् ! (किं के०) शुं (अदरप्रकृ तिरपि के० ) अदर एटले मोद स्वनावी बो, तो पण ( अलिपिः के०) ब्राह्मी श्रादिक लिपियें करी रहित वर्तो बो, एटले जे अदर स्वनावी ४२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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