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प्रतिक्रमण सूत्र. ___ अर्थः-हे नाथ! (कुंद के०) मोघरानां पुष्प,तेना सरखां (श्रवदात के०)उ ज्ज्वल अने (चल के०)चंचल एटले शादिकें वींजेलां एवांजे (चामर के)बे चामरो तेणें करीने (चारुशोजं के०) मनोहर ले शोजा जेनी एवु, अने (कल धौतकांतं के०) सुवर्णना सरखं मनोहर एबुं (तव के५) तमारं (वपुः के०) शरीर, ते (वित्राजते के०) विशेषे करी शोने बे, त्यां दृष्टांत कहे जे. (उ द्यत् के०) उदय पामेलो एवो (शशांक के) चंद्रमा तेना सर ( शुचि के) निर्मल अने (निर्जर के) निर्धारणानी (वारिधारं के० ) जल धारा जेने विषे वही रश एवं (शातकौंनं के०) सुवर्णमय जे (सुरगिरेः के) मेरुपर्वत तेनुं (उच्चैः के०) उंचं एबुं (तटं के०) तट एटले शिखर ते जेम शोने (श्व के० ) तेनी पेरें तमारुं शरीर पण शोने ३ ॥ ३० ॥
हवे त्रत्रयनामा प्रातिहार्यने वर्णन करतो तो कहे .
नत्रयं तव विनाति शशांककांत, मुच्चैःस्थितं स्थ गितनानुकरप्रतापम् ॥ मुक्ताफलप्रकरजालविट
शोनं, प्रख्यापयत्रिजगतः परमेश्वरत्वम् ॥३१॥ अर्थः-हे प्रनो! ( शशांककांतं के ) चंजमाना सरखं मनोहर एवं (उच्चैःस्थितं के) तमारी उपर रघु अने (स्थगितनानुकरप्रतापं के) ढां की दीधो के सूर्यना किरणोनो प्रताप जेणे एवं तथा (मुक्ताफल के०) मो ती तेना (प्रकर के०) समूह तेनी (जाल के० ) रचना, तेणे करीने (विवृ कशोनं के० ) विशेषे करी वृद्धि पामी ने शोजा जेनीए,, (त्रिजगतः के) त्रण जगत् जे जे तेनुं ( परमेश्वरत्वं के० ) परमेश्वपरपणुं तेने (प्र ख्यापयत् के०) प्रकर्षे करीने जणावनाएं एवं ( तव के) तमाएं (बत्र त्रयं के ) बत्रत्रय जे दे, ते ( विनाति के) शोने के एटले तमोने उ त्रातिबत्र एवां त्रण बत्र जे धराय बे, ते त्रण जगतनुं प्रजुत्व प्रख्यापन करे . तिहां एक बजे करी पाताल लोकतुं प्रजुत्व सूचन करायडे, बी जा बत्रे करी मृत्युलोकनुं स्वामित्व सूचन कराय बे, अने त्रीजा क री देवलोकनुं स्वामित्व सूचन कराय ने ॥ ३१ ॥
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