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________________ १७२ प्रतिक्रमण सूत्र. अर्थ:-( सर्वस्यापिच के०) चतुर्विध एवा सर्व पण, च पादपूर्णार्थ ठे. (संघ स्य के०) संघने (जड़ के०) सौख्य, ( कल्याण के० ) निरुपद्रवपणुं, (मंगल ho) डुरितोपशांति, इत्यादिकने ( प्रददे के० ) प्रकर्षे करी आपनार एवी, अर्थात् एतादृशगुणयुक्त एवी हे देवि ! ( च के० ) वली ( साधूनां के० ) मोहने जे साधे ते साधु कहियें एटले मुनियो तेमने ( सदा के०) सर्वदा ( शिव के ० ) निरुपद्रवत्व, (सुतुष्टि के ० ) शोजन चित्तनी शांति, ( पुष्टि ho) धर्मनी वृद्धि, तेने ( प्रदे के० ) देनारी एवी हे देवि ! तुं ( जीयाः ho ) जयवंती हो, अर्थात् सर्वोत्कर्षपणे जगत्मां वर्त्तो ॥ ८ ॥ नव्यानां कृत सि. निर्वृत्तिनिर्वाणजननि सत्त्वानाम् ॥ जयप्रदाननिरते, नमोऽस्तु स्वस्तिप्रदे तुभ्यम् ॥ ॥ अर्थ : - ( व्यानां के०) जव्य जीवोने (कृत सिद्धे के० ) कररी बे सिद्धि जेणें एटले सर्वकार्योंनी निर्विघ्नपणे समाप्ति कर बे जेणें एवी, वली (स वानां के०) जव्य जीवोने (निर्वृति के ० ) चित्तसमाधि तथा ( निर्वाण के० ) मोक्ष एटले परमानंद एम निर्वृत्ति, निर्वाणने ( जननि के० ) उत्पन्न कर नारी मा निर्वृति निर्वाणजननि एवा. संबोधनवाली, उक्तं च " सम्मद्दिही देवा, दिंतु समाहिं च बोहिं च तथा ( अजय के० ) निर्भयपणं तेने ( प्रदान के० ) प्रकर्षे करीने देवाने ( निरते के० ) तत्पर . स्वस्तिप्रदे के० ) कल्याणने प्रकर्षे करी देवावाली एवी अर्थात् ए पूर्वोक्त सर्वगुणयुक्त एवा संबोधनवाली हे देवि ! ( तुभ्यं के० ) तुमने ( न मोsस्तु के० ) नमस्कार हो ॥ ५ ॥ "" तथा भक्तानां जंतूनां शुभावदे नित्यमुद्यते देवि || सम्यगृदृष्टीनां धृति, रतिमतिबुद्धिप्रदानाय ॥ १० ॥ अर्थ :- (क्तानां के० ) पोतानी सेवाना करनार जक्तिमंत एवां (जंतूनां के० ) जे जीव ढे, तेमनें ( शुभावहे के० ) शुभ एटले श्रेयपणाने आए टले सर्व प्रकारें वहा एटले वहन करनारी पमागनारी बे माटें शुभकारि का कहियें, तथा वली ( सम्यग्दृष्टीनां के० ) सम्यग्रदृष्टि जीवोने ( धृति ha) संतोष, (रति के० ) प्रीति, (मति के० ) प्राप्त विषयनी बुद्धि, ए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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