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प्रतिक्रमण सूत्र.
॥ अथ देत्रदेवतानी स्तुति ॥ जीसे खित्ते साहू, दंसण नाणेहिं चरण सहिएहिं ॥ सादंति मुकमग्गं, सा देवी दर उरिया ॥२॥ इति॥३॥
अर्थः-(चरणसहिएहिं के) चारित्र सहित एवो (दसणनाणेहिं के०) दर्शन श्रने ज्ञान तेणे करीने (जीसे के०) जे देवीना ( खित्ते के०) दे त्रने विषे (साहू के०) साधु मुनिराज, (मुकमग्गं के०) मोदना मार्ग प्रत्य (साहंति के०) साधे बे, (सा के०) ते, (देवी के०) देवी, (पुरियाई के०) रितप्रत्ये एटले पापप्रत्यें (हरड के०) हरो, दूर करो ॥२॥ ए के त्र देवतानो काउस्सग्ग श्रीवयरस्वामीयें कीधो सांजलीयें बैयें, अने श्रीना वाहु खामीये पण करवो कह्यो , ते जणी एमां मिथ्यात्व नहीं,एम समजवू. था गाथामां लघु तेत्रीश, गुरु त्रण, सर्वादर बत्रीश जे. बेहु गाथाना लघु उंगणोतेर, अने गुरु पांच, मली सर्वादर चम्मोतेर २ ॥ इति ॥ ३ ॥
॥अथ कमलदलस्तुतिः॥ कमलदलविपुलनयना, कमलमुखी कमलग नसमगौरी ॥ कमले स्थिता नगवती, ददा
तु श्रुतदेवता सिधिम् ॥१॥ इति ॥ ३॥ अर्थः-(जगवती के०) उकुरा प्रमुख गुणनी धरनारी एवी जे (श्रुत देवता के ) सिद्धांतनी अधिष्ठायिका श्रुतदेवी , ते अमने ( सिडिं के०) धर्मनी सिझिप्रत्ये (ददातु के) दियो आपो, ते श्रुतदेवी केहवी ने ? तो के ( कमलदल के०) कमलनी पांखमी समान (विपुल के) विशा लडे (नयना के०) नेत्र जेहनां एवी . वली केहवी ? तो के (कमलमुखी के० ) कमलमुखी , अर्थात् कमल सरखं सुगंधीयुक्त वाटलु एवं सुशोनि त मुख ने जेहनु, वली केहवी ने ? तोके (कमलगर्जसमगौरी के० ) कमल ना गर्जनी पेरें गौर वर्ण , एटले कमलना मध्यनागमा जे गर्न , तेना सरखो गौरवर्ण , जेनो एवी , वली केहवी डे ? तो के (कमले के०) क मलने विषे ( स्थिता के०) रही डे ॥ १॥ इति ॥ ३ए ॥
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