SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 180
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६० प्रतिक्रमण सूत्र. के०) सर्व अपराधप्रत्ये ( खमावश्ता के० ) खमावीने, वली एम कहे के ते सर्व जीवोनी उपर समजाव ते रूप (धम्म के० ) धर्म, तेने विषे (निहिय के ) निधित कयुं बे एटले स्थाप्यु नावथकी आरोपण कमु , ( नियचित्तो के ) निजचित्त एटले पोतार्नु मन जेणें एहवो (अहयंपि के०) हुँ पण (सबस्स के०) सर्व जीव राशिना कीधा जे अप राध ते अपराधप्रत्यें (खमामि के०) हुँ खमुं बुं ॥३॥ आ गाथामां लघु अहावीश अने गुरु नव, सर्वादर सामंत्रीश ३ ॥ इति खामणां ॥ ३४ ॥ ॥अथ नमोस्तु वर्षमानाय ॥ श्वामो अणुसहिं ॥ नमो खमासमणाणं ॥ नमोऽहेत्॥ नमोऽस्तु वर्षमानाय, स्पईमानाय कर्मणा ॥ तऊयावाप्तमोदााय, परोदाय कुतीथिनाम् ॥१॥ अर्थः-( वर्धमानाय के० ) श्रीवर्धमान स्वामी जणी, ( नमोस्तु के०) नमस्कार थार्ड, ते श्रीवर्डमान खामी केहवा छे ? तो के ( कर्मणा के०) कर्मोनी साथे ( पढ़मानाय के) स्पर्काना करनार बे, एटले ाना करनार बे, केम के ? कर्मोना वैरी , माटें तेनी साथें ईर्ष्याना करनार बे. वली केहवा ने तो के ( तऊया के० ) ते कर्मनो जय करीने (अवाप्त के) पाम्या ( मोदाय के० ) मोद प्रत्यें एवा , वली केहवा ? तो के ( कुतीर्थिनां के० ) कुतीर्थीयो जे मिथ्यादृष्टि जीवो, तेने (परो दाय के ) परोद में, एटले दृष्टिथी दूर जे. अर्थात् मिथ्यादृष्ठि जीव होय, ते प्रजुनुं स्वरूप जाणी न शके ॥ इति नावः॥१॥ येषां विकचारविंदराज्या, ज्यायः क्रमकमलावलिं दधत्या सदृशैरिति संगतं प्रशस्य, कथितं संतु शिवाय ते जिनेशः॥२॥ अर्थः-(ते के ) ते ( जिनेंडाः के ) जिनें तीर्थंकर, (शिवाय के०) शिव एटले परम कल्याण, तेने अर्थे ( संतु के०) था. ते जिनेऊ केहवा ने ? तो के (येषां के०) जे जिनेंडोनी ( ज्यायः के० ) प्रधान प्रशंसनीय एवी (क्रमकमलावलिं के०) चरणकमलनी श्रावलि एटले श्रेणीप्रत्यें ( दधत्या के ) धरती हुश् एटले पोतानी उपर स्थापित हुश्, अर्थात् वि हारसमय प्रजुना चरणकमलनी नीचे सुवर्णमय नव कमल जे देवता रचे Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy