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________________ १३२ प्रतिक्रमण सूत्र. एक दिशियें कार्य विशेष पच्चास योजन वधारवा, बीजी दिशियें पच्चास योजन घटावा, ते चोथो क्षेत्रवृद्धिनामा यतिचार जाणवो पांचमो (स 5 अंतरा के०) स्मृत्यंतर्द्धा ते मार्गमांडे स्मृतिनो अंश याय एटले संदेह कारी एक विचार उपजे के, शं था दिशि महारे सो योजने मोकली राखेली बे ? के पच्चास योजन मोकली राखेली बे ? एवी शंका बते पच्चास योजन उपरांत जावुं, ते पांचमो अतिचार अने सो योजन उपरांत जावुं ते अनाचार व्रतजंग जाणवो. ए पांचमो स्मृत्यंतर्द्धानामें अतिचार. ( पढi am a ho) प्रथम गुणवतने विषे पूर्वोक्त पांच प्रतिचार मांहेलो जे अतिचार लाग्यो होय, ते प्रत्यें ( निंदे के० ) हुं निडुं हुं ॥ १५ ॥ वे बीजं उपजोग परिजोग परिमाण गुणत्रत कहे बे. ममि मंसंमि, पुप्फे फले गंध मल्ले ॥ जवनोगपरीनोगे, वीमि गुणवए निंदे ॥ २० ॥ अर्थः- जे वस्तु उप एटले एकवार सेवाय तथा मुखादिकमां शरीरमां प्रवेश कराय एवी वस्तु, जेम के खान, पान, फूल, जे वविलेपन प्रमुख स्तु तेनो जोग ते उपजोग तथा परि एटले बाहिरथी वारं वार सेवियें, ते परिजोग वस्तु. ते वस्त्र, आजरण, जवन, स्त्री प्रमुख जाणवां. उपजोग परिभोग परिमाणनामा बीजुं गुणव्रत वे प्रकारें बे. एक जोजनथकी, बीजुं कर्मथकी, तेना वीश अतिचारने प्रथम सामान्यपणे निंदियें ढैयें. ( ममि के०) मदिरा, (मंसंमिश्र के०) मांस, वे चकारथकी बीजा पण अजक्ष्य द्रव्य ग्रहण करवां. जेवां के मधु, माखण, अनंतकाय प्रमुख ( पुप्फे के० ) केरमां, मनमादिकनां फूल, ( अके०) चशब्दथकी कुंथुथा, दिक त्रस जीवें करीने सहित एवा नागरवेलीनां पान प्रमुख जाणवतं. तथा (फले के० ) वाली जांबू, बीलां, पीलूमां, पीच, बोर, पाकां करमदांए फल सर्व अक्ष्य वस्तु बे, श्रावकने खावा पीवा योग्य नथी. ए वस्तु खाधामां वपराय बे, ते कही, एटले अंतर्भोगवस्तु सूचवी हवे बाहिर ना जोगमां आवे ते वस्तु कहे बे. ( गंध के० ) बरास, तर, अबीरकपूर, अगर, तगर, धूपादिक जाणवां. ( मलेा के०) फूला दिकनी माला, ते केतकी चंपकादिकनां फूलनी जाणवी तथा च शब्दथकी अन्य सर्व Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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