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यह तो तुमसे अनजाना नहीं, कि सारे जम्बू द्वीप के सम्राट और साम्राज्य मेरे क़दमों में बिछे रहते थे, पर मैंने आँख उठा कर भी उनकी ओर नहीं देखा। "यों भी वेश्या को लज्जा क्या, फिर तुम्हारे सामने निर्लज्ज न होऊँ, तो और कहाँ नग्न होने का अवसर है मेरे लिये। इसीलिये आज लज्जा त्याग कर कहती हूँ, कि मैं केवल तुम्हारी कुँवारी सती हो कर रह गई ! विचित्र है मेरा यह शरीर। सारा जगत् इस पर से पानी की तरह बह गया, पर वह मेरी त्वचा तक को न छू सका, भिगो देना तो दूर की बात। मेरी गोपन गुहा को द्रवित कर सके, ऐसा कोई अन्य पुरुष अभी पृथ्वी पर नहीं जन्मा। सिवाय एक के।"छोड़ो वह बात।
जगज्जयी श्रेणिक बिम्बिसार, मेरे लिये अगम वीरानों की ख़ाक़ छानते फिरे। प्रतिहिंसक हो कर, अभेद्य अरण्यों में अहेरी की तरह भकटते फिरे,
और निर्दोष प्राणियों का आखेट करते रहे। अनावश्यक युद्धों के बर्बर क़त्लेआम चला कर, आम्रपाली को न पा सकने की अपनी असह्य कचौट को पहाड़ों पर पछाड़ते फिरे। आम्रपाली हाथ न आई, तो एकान्त अटवी में ध्यानस्थ यशोधर मुनि को ही महावीर समझ कर, तुम्हारी हत्या तक को उद्यत हुए। अनेक बार वेश बदल कर वे मेरे परिवेश में आये, मेरे सामने तक आये। विन्ध्याचल में उनके वीणा-वादन पर आम्रपाली ऐसी नाची, कि नृत्यकला की पराकाष्ठा हो गई। उसने देव-गन्धर्व विश्वावसु तक का आसन हिला कर, उसे वहाँ आने को विवश कर दिया। सम्राट की वीणा के तार, उनकी अँगुलियों के उत्कट वासनाकुल दबावों से टूट गये, उनकी अंगुलियाँ लहूलुहान हो गईं। वे आम्रपाली के चरण पकड़ लेने को धरती पर लोट गये । विश्वावसु ताकता रह गया। और आम्रपाली कब की वहाँ से जा चुकी थी ! . ___ अवन्तिपति चण्डप्रद्योत ने तुम्हारी मौसी शिवादेवी को अपदस्थ कर, मुझे उज्जयिनी की पट्टमहिषी बनाने के पैगाम भेजे। भुवन-मोहन उदयन के शूरातन, सौन्दर्य और संगीत पर मुग्ध हो कर, आम्रपाली ने मुस्करा भर दिया। तो अनम्य वत्सराज ने उसके चरणों की महावर हो जाना चाहा । उसका लोहित चुम्बन हवाओं पर व्यर्थ होता रहा। अम्बा की पगतलियाँ, वहाँ कहीं नहीं थीं! पारस्य के शाहे-आलम ने अपने अकूत ख़ज़ानों की कुंजियाँ मुझे सौग़ात में भेजी, कि वे मेरी करधौनी पर लटक जायें। आम्रपाली ने उठा कर वे कुंजियाँ अपनी एक दासी के पैरों में डाल दीं, कि चाहे तो वह पारस्य की दन्तकथा-बनी निधियों को लूट कर, पारस्य की महारानी हो जाये !
आर्यावर्त के पूर्वीय और पश्चिमीय सीमान्तों के सत्ताधीशों ने अपने मुकुट अम्बा के चरण-प्रान्त में रगड़े। सारे जम्बू द्वीप के सत्ता और सम्पत्ति के सिंहासन आम्रपाली की भाँवरें देते रहे। अरबों-खरबोंपति सार्थवाहों के
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