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प्रासाद के सामने से गुज़रते हैं, और ठीक उसके मुखद्वार के आगे ठिठक जाते हैं । "
प्रश्न उठता है, कि महावीर वैशाली आये हैं, या आम्रपाली के द्वार पर आये हैं ? लेकिन महावीर संथागार के भाषण में कह चुके थे कि उनके मन आम्रपाली ही वैशाली है । वे दोनों तदाकार अस्तियाँ हैं । यहाँ रचना के दौरान एक रहस्य खुलता है : आम्रपाली सृष्टि की आद्याशक्ति परात्परा नारी-माँ का प्रतीक है। आद्याशक्ति माँ के भीतर से ही विश्व का सृजन और मुर्तन होता है । वैशाली है उसी आद्या के मूर्त प्रकटीकरण ( मैनीफ़ेस्टेशन) का एक मीनियेचर प्रतीक । उसमें आदिम नारी-माँ रूपाकार धारण किया है : जब भी वह नारी शक्ति विषम हो जाती है, या कर दी जाती है, तो सारी सृष्टि विषम और विसम्वादी हो जाती है । बलात्कार पूर्वक आम्रपाली को नगर-वधू बनाना ही नारी शक्ति का वैषम्यीकरण है, विसम्वादीकरण है । इसी से वैशाली भी विषम, विसम्वादी, बेसुरी और संघर्षाकान्त हो गई है । फलतः सारा समकालीन जगत भी ।
१.
महावीर पुरुष या शिव के प्रतीक हैं। वे मानवों द्वारा विकृत विषम कर दी गई प्रकृति या आद्या शक्ति की मुक्ति के लिये ही मानो वैशाली आये हैं। प्रथम बार भी वे उसी केन्द्रीय -- ध्रुवाकर्षण से खिंच कर वे वैशाली आने को विवश हुए थे। इसी से संथागार के भाषण में उनके ध्रुपद की टेक थो आम्रपाली। महाशक्ति माँ अनादृत है, सुवर्ण के कारागार में बन्दी है, इसी से मानो विग्रह-संघर्ष है, युद्ध है, विरोधी आसुरी शक्तियों का प्राबल्य है । मगधेश्वर श्रेणिक के मन में भी वैशाली जीतना इसीलिये अनिवार्य था, कि आम्रपाली को पाये बिना उनका दिग्विजयी चक्रवर्तित्व और साम्राज्य विस्तार सम्भव न था। आद्याशक्ति माँ, विपथगामी पुरुषशक्ति की होड़, स्पर्द्धा और युद्ध ( देवासुर संग्राम) का विषय बन गयी थी । मातृशक्ति जब तक असुर के तामसिक कारागार से मुक्त न हो, तब तक मंगल-कल्याणी वैशाली या जगत - सृष्टि की रचना नहीं हो सकती ।
आम्रपाली का महावीर को बिना देखे भी, उनके प्रति जो अदम्य और अनिर्वार आकर्षण है, जो परा प्रीति है, वह प्रकृति की पुरुष के प्रति, शक्ति की शिव के प्रति अप्रतिवार्य गुरुत्वाकर्षणी शक्ति का ही द्योतन या 'मैनीफ़ेस्टेशन' है । मगध-वैशाली का देवासुर संग्राम, तत्कालीन जगत् या मगधवैशाली में शोषण और पीड़न की बलात्कारी शक्तियों का प्राबल्य, ये सब मानो शिव-शक्ति या प्रकृति-पुरुष के वियोग का ही परिणाम है ।
संथागार के भाषण में इसी कारण महावीर आम्रपाली की मुक्ति को ही, वैशाली की मुक्ति का एकमात्र उपाय बता गये थे । बता गये थे कि
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