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कर सकते हो। प्रभु के आदेश से ही तुम्हारे पास आया हूँ, कि तुम्हें तुम्हारी असली और अन्तिम पहचान करा दूं। क्या तुम अपने को ही महावीर में; मुझ में, सब में नहीं रच रहे ?'
'तुमने मेरी चोरी पकड़ ली अभय दा, अब आगे क़लम कैसे चले ?...'
'कलम तो आप ही चलेगी, उसे चलाने या न चलाने वाले तुम कौन होते हो !' ... 'अभय दा, जरा सामने आओ न! तुम्हें देखने को व्याकुल हो उठा है।'
'मुझे अपने से भिन्न देखना चाहोगे, मेरे वीरेन्द्र वासुदेव? अपने ही को देखो न, अभय तो हर पल तुम्हारे जीवन में तदाकार खेल रहा है।''
एक अविचल प्रतीति के गहन सुख से मैं एक दम आश्वस्त, विश्रब्ध हो गया। प्रश्न, विचार, वाचा समाप्त अनुभव हुए।
तभी अचानक एक खूब अल्हड़ दुरन्त खिलखिलाहट सुनाई पड़ी। अभय राजकुमार की वही लीला-चपल, उन्मुक्त, प्रगल्भ हँसी।
. 'सुनो वीरेन्, आज एक और कथा तुम्हें सुनाने आया हूँ, जिसे तुम यथाप्रसंग न कह पाये थे। मैंने वह तुम से ओझल रख ली थी, क्यों कि मैं तब तुम से टकराना नहीं चाहता था। "याद करो बरसों पहले का वह प्रसंग, जब चण्ड प्रद्योत ने विन्ध्याचल में अनलगिरि हाथी का एक मायावी रूप बनवा कर छड़वा दिया था, और उस युक्ति से उसने वत्सराज उदयन को बँधवा मँगवाया था। यह उसी समय की बात है, जब मैं प्रद्योत के यहाँ सुवर्ण के पिंजरे में बन्दी रक्खा गया था। प्रद्योत के पूछने पर, मैंने ही उदयन को बँधवा मँगवाने की उपरोक्त युक्ति उसे बतायी थी। .. 'बात यह थी, कि चण्ड प्रद्योत अपनी अंगारवती रानी की परमा सुन्दरी बेटी वासवदत्ता को गान्धर्व विद्या में निपुण बनाना चाहता था। वासवी की एकान्त गान-लहरी को चुपके से सुन कर, प्रद्योत प्रायः स्तब्ध विभोर हो रहता। "अरे, यह तो जन्मना ही गांधर्वी है-मेरी बेटी! इसकी इस विद्या को विकसित करना होगा। कहाँ मिले वह गुरु, जो वासवदत्ता के संगीत में नाद-ब्रह्म को जगा दे। सो प्रद्योत ने मेरा परामर्श मांगा। मैंने कहा-सीधे वासुकी नाग से जिस उदयन को देववीणा प्राप्त हुई, चित्ररथ और विश्वावसु गन्धर्व आधी रातों जिसकी मातंगी वीणा के वादन पर उतर आते हैं, तुम्बरु गन्धर्व जिसकी वीणा के तूम्बों में आ कर बैठता है, वही पृथ्वी पर इस समय मूर्तिमान देव-गन्धर्व है। यों तो वह आयेगा नहीं। उसे पकड़वा मँगवाओ। वह वन में, अपने संगीत से गजेन्द्रों को भी मोहित कर बाँध लेता है। जैसे वह अपने गीत से हाथियों को बाँध लाता है, ठीक उसी उपाय से उसे भी बाँध कर लाया जा सकता है। आपके अनलगिरि हाथी पर
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