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________________ वीतराग के लीला-खेल ठीक दिवोदय की बेला में महादेवी चेलना, अपने 'एक-स्तम्भ प्रासाद' की छत पर खड़ी केशों में कंघी कर रही हैं। सामने वैभार की वनालियों में गुलाबी ऊषा फूट रही है। दिशाओं को चूमते घनसार बालों में एकाएक मणि-जटित कंघी उलझ कर जाने कहाँ खो गयी। महादेवी की उठी बाँहों के कमनीय कोण अचल में चित्रित-से रह गये। __..पीठ पीछे ध्रुव पश्चिम में उन्हें योजनों पार एक दूरंगम दृश्य दिखायी पड़ा। आँख से परे का कोई दूर-दर्शन ? नीली चमकीली नीहार के मण्डल में से यह क्या दिखायी पड़ रहा है ? विपुल विशाल सैन्य का धंसा आ रहा प्रवाह । हज़ारों-हज़ार अश्वारोहियों के चमचमाते शस्त्र-फलों का वन। उसके आगे अश्वारूढ़ चौदह मुकुटबद्ध राजाओं की चलायमान हारमाला। और सब से आगे प्रचण्ड श्वेत अश्व पर सवार, नग्न खड्ग ताने धावमान है कोई रुद्र प्रतापी आक्रमणकारी राजेश्वर । चेलना स्तम्भित, अचल उन्मीलित नयनों देखती रह गई। ठीक तभी आपातकालीन घण्टनाद सुन कर, सम्राट श्रेणिक राज सभा में आ बिराजे । हठात् एक दण्ड-नायक ने आ कर हाथ जोड़ निवेदन किया : ___ 'परम भट्टारक मगधनाथ जयवन्त हों। महाराज, अवन्तीपति चण्डप्रद्योत अपने चौदह माण्डलिक राजाओं और विशाल सैन्य के साथ प्रलय के पूर की तरह मगध पर चढ़ा आ रहा है। सूचनार्थ निवेदन है।' श्रेणिक ने मानो आँख से सुना और कान से देखा। आक्रमणकारी जामाता चण्डप्रद्योत को शायद पता नहीं, कि मगध के सिंहासन पर अब सम्राट श्रेणिक नहीं, सर्वजयी महावीर बिराजमान हैं। साम्राज्य अब उन्हीं का है, वही देखें। लेकिन प्रभु के लोकपाल के नाते मेरा कर्त्तव्य इस घड़ी क्या है ? प्रजाओं की रक्षा के लिये, क्या त्यागी हुई तलवार को फिर से उठाना होगा? 'आयुष्यमान् अभय राजा, युद्ध द्वार पर आ लगा है। क्या करना होगा।' अनेक औत्पातिकी विद्याओं का धनी अभयकुमार मुस्करा आया । बोला : ‘उज्जयिनी-पति प्रद्योत तो हमारे जामाता और जीजा भी हैं, महाराज। उनका स्वागत ही तो हो सकता है ! उनकी युद्ध-कामना को तुष्ट किया जायेगा। मेरे युद्ध के वे अतिथि भले आयें। चिन्ता की क्या बात है?' Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003848
Book TitleAnuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendrakumar Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size6 MB
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