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नर और नारी का मिलन कामोत्पल है। वह कभी न कभी कुम्हला ही जाता है। कामना में संघर्ष अनिवार्य है। लेकिन समलिंगी नर-नारी की मैत्री निष्काम होने से, निर्बाध है। उसमें पीड़ा के पारावार नहीं, सन्देह के शूल नहीं, ख़तरे के भँवर नहीं, आसक्ति के तमसावन नहीं। लेकिन ऐसे मित्र से दुर्लभ तो संसार में कुछ भी नहीं! वह भला कब, कहाँ मिलेगा ? ____ आर्द्रक राजकुमार का मन चिरकाल से उसी मनोमणि मित्र को खोज रहा है।
मंत्री शीलभद्र से आर्द्रक कुमार का संदेश और उपहार पा कर, अभय राजा को पुलक-रोमांच हुआ। वे अपने कक्ष के एकान्त में चले गये, और वह प्रवाल-करण्डक खोल कर देखा। मुक्ताफलों की आभा में समग्र आरब्य समुद्र तरंगित है ! अभय को अपने हृदय की पंखुरियों में एक विचित्र स्पन्दन का अनुभव हुआ। स्फुरित हुआ कि : 'अहो, यह कोई मुक्तिकामी है, आसन्न भव्यात्मा है। अभव्य मेरी प्रीति का चाहक नहीं हो सकता। जो आत्मकामी न हो, वह मेरे प्रति आकृष्ट नहीं हो सकता, मेरा आप्त जन नहीं हो सकता। "अभव्य अनार्य देश में जन्म ले कर भी, निश्चय ही वह आर्द्रक आर्य है। वह आत्मा के ऐश्वर्य से आलोकित है। मैं उसे ऐसा उपहार भेजूंगा, जो उसे यहाँ बलात् खींच लायेगा। आर्द्रक, अभय तुम्हारी प्रतीक्षा में है ! ___ अभय अपने पूजा-गृह में गया। कपाट बन्द कर लिये। नीराजन में दीपक अंकुरित कर दिया। पूजासन पर बिराजमान मूलनायक सीमन्धर प्रभु के रत्नछत्र के भीतर गोपित, एक छोटी-सी गहरे हरे पन्ने की मूर्ति उसने निकाली। सन्मुख ले कर उसे एकटक निहारा। आदिनाथ ऋषभदेव की दीर्घकेशी अवधूत मुद्रा। निरतिशय कोमल बाल्य मुखश्री। एक छोटे-से मर्कत-खण्ड में उत्कीर्ण । फिर भी कितनी सुरेख, स्पष्ट, प्रांजल, जीवन्त । मानो कि बोल रही है, बात कर रही है, सम्बोधन कर रही है। एक बोलती चिन्तामणि। रेशमीन रूई में लपेट कर उसे स्फटिक की डिबिया में बिराजित किया। पूजा के सारे उपकरणों के बीच, उस पर केशर छिड़की, अक्षत-फूल चढ़ाये। धूपधूना, आरती, शंख-घण्टा ध्वनि से उसे जागरित किया। फिर डिबिया को बन्द कर, अनेक रेशम-पट्टों में आवेष्टित कर, एक सुदढ़ ताम्र-पेटिका में उसे बन्द कर के, उस पर धर्म-चक्र से अंकित मगध की सील-मुहर लगा दी।
आर्द्रकराज का जो दूत उनके उपहार ले कर शीलभद्र के साथ आया था, उसे फिर अनेक उपहार दे कर मगधेश्वर ने बिदा किया। जब वह अपने जलपोत में सवार हो गया, तो उसके कक्ष में अभय उसकी प्रतीक्षा में था। ताम्र-पेटिका उसे सौंपते हुए अभय ने कहा : 'देवानुप्रिय भाईककुमार को यह
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