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की धात्री को । और उसी में से मेरी मुक्ति का द्वार खुल गया । देवी चेलना शाश्वती में जयवन्त हों!' .
'लेकिन उस बेचारी पीड़िता व्यन्तरी कनकधी का क्या होगा, भगवन् ?'
'वह अब शान्त और समय-सुन्दर भाव से अर्हत् की सेवा में निवेदित है । रात की निस्तब्धता में वीणा वादन करती हुई, वह विपुलाचल की वनानियों में अर्हन्त महावीर का स्तुतिगान करती रहती है।'
'उसके संगीत में अर्हन्त वैशाख क्या सुनते हैं, क्या देखते हैं ?'
'यही, कि जो नारी मनुष्य को जन्म देती है, वही उसे जन्म-मरण से मुक्त करने की शक्ति भी रखती है । महावीर के युगतीर्थ में नारी-माँ की इस शक्ति का जयगान होगा।' ___ चेलना की कृतार्थता अकथ हो गयी । उसके नारीत्व को फिर एक बार अचूक उत्तर मिल गया । उसकी आँखों के पानी में उसके अन्तर्वासी प्रभु उजल आये ।
"निरंजन महावीर, तुम्हारी सम्भावनाओं का अन्त नहीं ! .... "
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