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कथित धर्म, सभी तरह से निर्दोष है। पर उसमें यदि प्रासुक जल से स्नान करने की आज्ञा मुनि को होती, तो उससे कौन-सा दोष आ जाता ?' अमोचर से उसे प्रतिबोध - वाणी सुनाई पड़ी : 'स्वयम् सूर्य, चन्द्र और मेघधाराएँ प्रकृतिजयी श्रमण का अभिषेक करती हैं । देहभाव में मूच्छित बाले, तूने उन्हें केवल देहमल रूप देखा, उनकी विदेह विभा तैने नहीं देखी । तुझे अपनी देह - सुमन्ध का अभिमान हो गया। तो अपनी देह सुगन्ध का अन्त - परिणाम जान ! ' लड़की भयभीत हो कर भाग निकली। और वह अपने देहराग में शरण खोज कर और भी प्रमत्त हो गई। ...
'विपुल देह - सुख में रम कर, एक दिन वह धनश्री यथाकाल मर गई । मुनियों के स्वेद - मल की दुर्गन्धि से उत्पन्न जुगुप्सा उसके अवचेतन को एक निविड़ कर्मपाश से जकड़े हुए थी । उस ओर वह कभी सावधान न हो सकी, न कभी उसकी आलोचना कर सकी, न उससे प्रतिक्रमण कर सकी। सो मर कर वह धनश्री राजगृह नगर की एक वेश्या के गर्भ में आयी । माँ के गर्भ में बस कर भी वह माँ के हृदय में असह्य अरति और ग्लानि उत्पन्न करने लगी। परेशान हो कर गणिका ने गर्भपात की अनेक औषधियाँ सेवन कीं । फिर भी गर्भ गिर न सका । यथासमय वेश्या ने एक पुत्री को जन्म दिया। पूर्व भव की उत्कट जुगुप्सा जन्म के साथ ही, उसकी देह में से प्रबल दुर्गन्ध बन कर फूट निकली। उस अमानुषी गन्ध को वह वेश्या सह न सकी। माँ ने स्वयम् अपनी गर्भजात बेटी को विष्ठा की तरह त्याग दिया । हे राजन्, राह किनारे परित्यक्त पड़ी वही दुर्गन्धा तुम्हारे देखने में आयी है ।' श्रेणिक ने फिर पूछा : 'हे प्रभु, कृपा कर बतायें, इसके बाद यह बाला कैसा तो सुख-दुख अनुभव करेगी ? '
प्रभु वैसे ही निश्चल अनुत्तर रहे। पर इस बार गन्धकुटी के अशोक वृक्ष में से उत्तर सुनाई पड़ा :
'धनश्री ने दुख तो सारा ही भोग लिया। अब तो यह सुन राजा, कि वह सुखी कैसे होगी । वह किशोर वय में ही तेरे मन की एक और महारानी होकर रहेगी। उसकी प्रतीति के लिये तुझे एक निशानी देता हूँ । हे राजन्, वन-विहार में क्रीड़ा करते हुए, यदि कभी कोई रानी तेरे पृष्ठ-भाग पर चढ़ कर हंस-लीला करने लगे, तो जान लेना कि वह यही आज की दुर्गन्धा है !'
प्रभु की यह अचिन्त्य वाणी सुन श्रेणिक बड़े संकोच और असमंजस में पड़ गया। उसका सर झुक गया, उसकी आवाज रुंध गई। बड़ी हिम्मत करके दबे स्वर में उसने कहा :
'यह एक और रानी कैसी, प्रभु ? जो हैं, वही सब तो पीछे छूट रही हैं। फिर यह आगे एक और कौन खड़ी है ? और केवल सोलह वर्ष की
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