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________________ 'तू श्रावस्ती के महालय में अपने पति कोशलराज की रानी हो कर रहना चाहती है ? या अपने घर गान्धार लौट जाना चाहती है ?' 'पश्चिमी समुद्र की उत्ताल तरंगिनी बेटी का कोई पति नहीं हो सकता। वह केवल साथी स्वीकार सकती है। और तरंग लौटना नहीं जानती। उसका कोई देश नहीं, कोई घर नहीं हो सकता, प्रभु।' ‘अपने मनोकाम्य साथी उदयन के पास जाना चाहेगी ?' 'अन्तर का साथी तो सदा साथ ही है, भन्ते। दूर कहाँ हूँ उससे, कि उसके पास अलग से जाना पड़े। उदयन को प्यार करने के लिये, मैं उदयन पर भी निर्भर नहीं करती। यही मेरा स्वभाव है, देवार्य ।' 'तो फिर क्या करना चाहती है ?' 'अपनी हर आगत और अनागत नियति का सामना करना चाहती हूँ !' 'महावीर तेरा क्या प्रिय कर सकता है, बाले?' 'क्षमा करें जगदीश्वर प्रभु, महावीर केवल अपने कर्ता हैं, मेरे कर्ता वे कैसे हो सकते हैं ?' 'साधु साधु, प्रियस्विनी ! तू आसन्न भव्यात्मा है, तू स्वयम् मुक्ति है। स्वयम् मोक्ष तेरा प्रार्थी है। तेरी जय हो, कल्याणी !' 'मोक्ष को भी मुझ से निराश होना पड़ेगा, प्रभु ! मैं उसकी भी कामना नहीं करती।' "उसकी कामना तुझे नहीं करनी होगी। वह स्वयम् तुझे समर्पित है। वह तेरे स्वभाव में अभी और यहाँ विद्यमान है। तू अर्हतों की दुहिता है। स्वयम् महावीर तुझे खोज रहा था। तुझे पा कर उसका युगतीर्थ धन्य हुआ !' 'मेरा जन्म लेना सार्थक हुआ, हे मेरे अनन्य वल्लभ !' । कलिंगसेना का सोहम्-भाव भी विगलित हो गया। आँसू भरे नयन उठाये वह भगवती चन्दन बाला को समर्पित हो गयी। और विपल मात्र में ही वह श्री भगवान् की सती हो कर, आर्यिका प्रकोष्ठ में उपविष्ट हुई। __ 'मैं तुम्हारे भूत, भविष्य और वर्तमान को एकाग्र देख रहा हूँ, चम्पाराजनन्दिनी चन्द्रभद्रा शील-चन्दना! मगध की साम्राज्य-लिप्सा के हाथों, अर्हन्तों की आदिकालीन लीला-भूमि चम्पा का पतन हुआ। नागकन्या के चुम्बन से, परम श्रावक चम्पा-नरेश दधिवाहन की हत्या करवा दी गयी। शत्रु-दलित चम्पा-दुर्ग की दीवार फांद कर शीलचन्दना श्रावस्ती की ओर भाग Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003848
Book TitleAnuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendrakumar Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size6 MB
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