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है । सुख-दुख का अनुभव करता है । यह अपने को भी देखता, जानता, सम्वेदित करता है, अन्यों को भी।
'यह चेतन तत्त्व है । यह जीव तत्त्व है । यही अपने शुद्ध, समग्र रूप में आत्म तत्त्व है । कुछ है जो देखा, जाना, अनुभव किया जा सकता है। पर जो न तो अन्य पदार्थों को जानता, देखता, अनुभवता, संवेदता है, न अपने को । वह चित् नहीं, अचित् है। वह ज्ञायक आत्म नहीं, मात्र ज्ञेय पदार्थ है । यह अचेतन नत्त्व है । इसी को कोई जड़ भी कहते हैं । जिनेश्वरों ने इसे पुद्गल कहा है।
'सारे लोकाकाश में यह पुद्गल द्रव्य परमाणुओं के रूप में व्याप्त है । ये परमाणु स्वभावगत आकर्षण, संकर्षण, विकर्षण से जुड़ते और विलगाते रहते हैं । इसी निसर्ग जोड़ तोड़ की प्रक्रिया में से यह नाना रूप, रंग, आकार, छाया, प्रकाश वाली सृष्टि-लीला सतत प्रकट हो रही है, और विलुप्त हो रही है । यह अचेतन पुद्गल भी अक्रिय नहीं है। इसी से जिनेश्वरों ने इसे जड़ नहीं कहा, स्व-सक्रिय पुद्गल कहा। इस में से आपोआप निरन्तर अनेक रूप, पर्याय, आकार, प्रकार उत्पन्न हो रहे हैं । इसी को परिणमन कहते हैं । इस पुद्गल की नित्य परिणामी ऊर्जा में से ही प्रकाण्ड शक्तियाँ विस्फोटित हो कर विश्व-लीला का परिचालन कर रही हैं । पर यह अचेतन पुद्गल स्वभावतः सक्रिय हो कर भी, स्व और पर का दर्शक, ज्ञायक, सम्वेदक नहीं।
'इससे भिन्न जो चेतन है, वह स्वयम् का और सर्व का ज्ञायक, दर्शक, सम्वेदक भी है । यह बद्ध अवस्था में जीव कहलाता है, मुक्त अवस्था में शुद्ध बुद्ध आत्मा कहलाता है । जीव और अजीव, चेतन और अचेतन के बीच निरन्तर एक आकर्षण-विकर्षण व्यापार चल रहा है। चेतन और अचेतन के इस अनवरत संभोग में से ही संसार संसरायमान है, गतिमान है, प्रगतिमान है ।
'अपने शुद्ध और मूल रूप में चेतन और अचेतन दोनों ही द्रव्य स्वतन्त्र हैं। वे एक-दूसरे के बाधक नहीं, बंधक नहीं । वे परस्पर एक-दूसरे के कर्ता, धर्ता, हर्ता नहीं । अपने प्रकृत रूप में वे इष्ट भी नहीं, अनिष्ट भी नहीं । अपने स्व-समय में, स्व-भाव वे परम सुन्दर हैं, सहज ही आनन्दमय हैं ।
'समस्त लोकाकाश में पुद्गल के परमाणु अदृश्य नीहारिका की तरह व्याप्त हैं । अपने समय में अव्याबाध । जीवात्मा प्राण, मन, इन्द्रिय, देह द्वारा उनसे अनुपल सम्पति और संस्पर्शित होता रहता है । आलिंगित, आश्लेषित होता रहता है। तब उसमें प्रकंपन होता है। वह राग, वेदन, सम्वेदन, सम्मोहन से आविल और विकल होता है। तब वे पुद्गल के सूक्ष्मातिसूक्ष्म कार्मिक परमाणु उस राग से आकृष्ट
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