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________________ २७८ 'मेरा आत्मनाश हो चुका ?' 'तू अभी आत्मनाश में प्रवृत्त है ?' 'सर्वज्ञ के कथन को केवल दुहरा रहा हूँ, और उनका निर्णय माँग रहा हूँ।' 'सर्वज्ञ केवल दृष्ट को कहते हैं, अदृष्ट को कहते हैं, निर्णय नहीं करते। सत् को साक्षात् करते हैं, उस पर हावी नहीं होते।' 'मैं वर्तमान पर्याय से बंधा नहीं। वर्ना मैं स्वतंत्र आत्मा कैसा, प्रभु ?' 'तू पर्याय नहीं । किन्तु पर्याय अपनी प्रक्रिया में भी कृत है। नहीं हो चुकी, फिर भी हो चुकी । तू अपना निदान कर चुका, आयुष्यमान् । अपनी नियति का सामना कर ।' जमालि ने अनुभव किया कि उसकी धरती छीन ली गयी है । उसे उच्चाटित कर दिया गया है । लेकिन छोड़े हुए कंचुक की तरफ़ सर्प कैसे लौटे । वह पर्याय व्यतीत हो गयी । और आगे ? आगे उसे शून्य में डग भरना है । जमालि की संचित तपाग्नि एक प्रचण्ड संकल्प में स्फोटित हो उठी। उसने सुदृढ़ गम्भीर स्वर में कहा : ___ 'मैं अपने श्रमण-संघ के साथ अनियत और स्वाधीन विहार करना चाहता हूँ, भन्ते । मैं जनपद विहार करना चाहता हूँ, भन्ते । आज्ञा प्रदान करें।' प्रभु चुप, निश्चल, स्तब्ध रहे । 'जो मैं अभी हो रहा हूँ, वह हो चुका, यह मुझे स्वीकार्य नहीं । मैं वह हो कर रहूँगा, जो होना चाहता हूँ। प्रभु ने मुझे अकेला, अनाथ कर दिया । तो मैं अकेला अनाथ ही विचरूँ, भन्ते । वह हो कर रहूँगा, जो होना चाहता हूँ।' प्रभु चुप, निरुत्तर, समाहित रहे । एक अन्तरिक्ष-ध्वनि सुनाई पड़ी: 'जो तू अभी क्रियमाण है, वह तू कृत है। यह तेने ही प्रकारान्तर से स्वीकार लिया, सौम्य !' 'नहीं. • ‘नहीं. · · नहीं ·हगिज़ नहीं। क्रियमाण और कृत के बीच मेरे पुरुष का संकल्प खड़ा है । निर्णय मेरा है, क्रमिक प्रर्याय का नहीं । प्रक्रिया नहीं, प्रज्ञा प्राथमिक है । कर्तृत्व मेरा है, पदार्थ का नहीं । आज्ञा दें शास्ता और आशीर्वाद दें, कि स्वतंत्र विचरूँ, और अपने अभीष्ट तक पहुँचूं । मुक्त पुरुष महावीर सर्व के स्वाधीन परिणमन के हामी हैं। आज्ञा दें, भन्ते तीर्थंकर, कि मैं अपने स्वाधीन परिणमन का अनुसरण करता हुआ, स्वतंत्र विहार करूँ! .... Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003847
Book TitleAnuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendrakumar Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1975
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size7 MB
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