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________________ २३४ शरद ऋतु के सवेरे की मुलायम धूप में पुरवा प्रसन्नता से नहा रहा है । शाल वृक्षों में शीतल नीली हवा डोल रही है। आर्य अम्बड़ ने अपने लक्षित घर का अनुसन्धान पा लिया है। • • •थोड़ी ही देर में वह द्वार उन्हें खुला दिखाई पड़ा, जहाँ सुलसा रहती है। द्वार जैसे किसी की प्रतीक्षा में है। आर्य अम्बड़ एक शाल वृक्ष के तने की ओट हो रहे । वे खुल कर सीधे सामने आना नहीं चाहते। वैसा करेंगे तो सुलसा के हृदय की गुहा तक कैसे पहुंच सकेंगे। उन्हें जानना है, पहचानना है उस नारी को, उसकी उस चुम्बकी शक्ति को, जिसने मुक्त महावीर को खींच लिया है। बाँध लिया है। अम्बड़ द्वार पर टकटकी लगाये रहे। कि हठात् पूजा-कक्ष से निकल कर सुलसा द्वार पर आ खड़ी हुई । दिवो-दुहिता ऊषा को ऋषि ने सामने खड़े देखा। सुलसा अतिथि के लिये द्वारापेक्षण कर रही है । अतिथि को आहार-दान दिये बिना वह भोजन नहीं करती । आर्य अम्बड़ ने अपनी वैक्रिय-लब्धि से अपना रूप बदल लिया। अपनी असलियत को छुपा लिया। · · ·और सुलसा के द्वार पर अचानक एक साधु खड़ा दिखाई पड़ा । उसने पुकारा : 'भिक्षाम् देहि अन्नपूर्णे!' सुलसा स्थिर चुप एकटक उस साधु को चीह्नती खड़ी रह गई । उसे लगा, यह असली व्यक्ति नहीं है। उसने दासी को बुलाकर आज्ञा दी कि वह साधु को भिक्षा दे दे। और वह स्वयं द्वार-पक्ष में चली गई। अम्बड़ सुलसा के अतिथि न हो सके। विक्रिया-लब्धि के चमत्कार को सुलसा न झुक सकी । अम्बड़ को प्रत्यय हुआ कि यह कोमल कमलनाल किसी चट्टान में से फूटी हुई है । अम्बड़ दासी से भिक्षा लेकर चल पड़े, और उन्होंने वैभार की तलहटी के एक तापस-आश्रम में डेरा जमाया । और वे सोच में पड़ गये कि कैसे सुलसा के हृदय तक पहुँचा जाये ? कोई अचूक युक्ति उन्हें नहीं सूझ रही थी। ____ अम्बड़ परिव्राजक कोई मांत्रिक-तांत्रिक नहीं थे । किन्तु उनकी तपोलक्ष्मी की सेवा में ऋद्धि-सिद्धि, मंत्र-तंत्र हाथ बाँधे खड़े रहते थे। अपने सत्, ऋत्, तपस् के तेज से उन्हें महाअथर्वण की कई विद्याएँ स्वतः सिद्ध हो गई थीं। पर इनका Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003847
Book TitleAnuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendrakumar Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1975
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size7 MB
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