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________________ . १३९ श्रेणिक और चेलना और अधिक वह स्वरूप सहन न कर सके। उनकी आँखें मुंद गईं। साष्टांग प्रणिपात में वे समर्पित हो गये। फिर गन्धकुटी की तीन प्रदक्षिणा दे कर वे पुनः श्रीभगवान के सम्मुख खड़े हो गये। भगवद्पाद गौतम ने आल्हादित हो कर घोषित किया : 'मगधेश्वरी चेलना और मगधेश्वर श्रेणिक बिम्बिसार श्रीचरणों में उपस्थित हैं, भन्ते।' भगवान चुप, अविचल रहे। उनके ओठों पर समत्व की एक अति स्क्ष्म मुस्कान व्याप गयी। जैसे पूर्वाचल का कोई अभिनव क्षितिज खुला हो। श्रेणिक के लिये विजय का एक और शिखर सामने आया। वह हर्षित हो कर फिर स्वयं आप हो उठा। उसका खोया आपा लौट आया। उसकी अस्मिता उसे लौटा दी गयी। उसका अन्तिम अहम् भुजंगम की तरह फुफकार कर जाग उठा : 'वहाँ अधर में, वह जो विराट् पुरुष बैठा है, वह मुझ से ऊपर है। और समुद्र-कम्पी मगधेश्वर यहाँ उसके पादप्रान्त में खड़ा है! आत्महारा, सर्वहारा, निपट अकिंचन। • • •ओ, मेरी सत्ता समाप्त हो गई ? तो · · · तो · · · फिर कहाँ खड़ा रहूँ ? कैसे? कहाँ ? कौन? मैं नहीं तो कौन ? फिर आर्य इन्द्रभूति का उच्च स्वर गूंजा : 'राजराजेश्वरी चेलना और महाराजाधिराज श्रेणिक बिम्बिसार श्रीभगवान की कृपा-दृष्टि तले उपस्थित हैं। वे अनुगृह के प्रत्याशी हैं।' श्री भगवान और भी गहनतर मौन में डूब गये। वह मौन बाहर भी अपार व्यापता गया। गहराता गया । श्रेणिक को फिर मानभंग का आघात अनुभव हुआ। उसका जी चाहा कि यहाँ से चला जाये। लेकिन वह मुर्तिवत् स्तम्भित है । और तनता ही चला जा रहा है। एक सनातन साँकल टूट जाने की अनी पर तन कर कड़कड़ा रही है। और चेलना अकम्प समर्पित है। उसे अपने-पराये की सुध बिसर गई है। और श्रेणिक इस क्षण उस चेलना से सट कर थमना चाहता है। 'हे त्रैलोक्येश्वर, श्रीचरणों में उपस्थित हैं, मगध के सम्राट और सम्राज्ञी।' 'वे अनुपस्थित कब थे, गौतम ? वे अनुगृहीत और स्वीकृत हैं ।' और भगवान ने उद्बोधन का हाथ उठा दिया। राजा और रानी को सामीप्य और जुड़ाव की एक अकथ्य अनुभूति हुई। सम्राट ने उन्नत मस्तक, सीना तान कर महावीर को मुक़ाबिल देखना और Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003847
Book TitleAnuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendrakumar Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1975
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size7 MB
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