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तुम्हारे और मेरे सम्पूर्ण और अनन्त की अनेक सम्भावनाओं से हमें वंचित रह जाना पड़ता है।
__ क्यों न अभी और यहाँ, नित्य मेरे साथ रहो, जहाँ हम दोनों ही, निर्नाम अखण्ड एकमेव आत्मा हैं, जहाँ हम माँ और पुत्र भी चाहें तो हैं ही, लेकिन उससे परे हम क्या नहीं हैं एक-दूसरे के लिये ? जहाँ हम प्रति क्षण मनचाहे रूप में एक-दूसरे को नित-नयी बार पाने और अपनाने को स्वतंत्र हैं। जहाँ एक-दूसरे को क्षण-क्षण अधिक-अधिक जानने पाने और प्यार करने का अन्त ही नहीं है। जहाँ हम एक-दूसरे को असंख्य आयामों में एक साथ उपलब्ध हैं। जहाँ तुम अपने में परम स्वतंत्र हो, मैं अपने में परम स्वतंत्र हूँ। अपनी-अपनी चरम सत्ता में जहाँ हम अक्षुण्ण, अव्याबाध हैं। फिर भी जहाँ स्वभावगत रूप से तुम्हीं मैं हूँ, मैं ही तुम हो। फिर भी सदा शाश्वती में दो या अनेक रह कर, पूर्ण ज्ञान की ज्योतिर्मयी तट-वेला में अनन्त काल रोमांस करते ही रहने को स्वच्छन्द हैं। ___.. सुनो अयि योषिता, मानवता और भगवत्ता में भेद और विरोध की रेखा खींच कर, अन्य और अन्यत्र में तुम्हीं तो भगवत्ता को स्थापित कर रही हो। कहीं और, कोई और है, जो भगवान है, हो सकता है, उसे स्थापित कर उससे विद्रोह करने का यह आग्रह क्यों? क्या अपने ही भीतर की भूमा के ऐश्वर्य को नकारोगी? क्या अपने ही महत्तम और वृहत्तम स्वरूप को इनकार करोगी? अपने भीतर के असीम, अनन्त-सम्भावी आत्मा के अतिरिक्त और कोई भगवान मैं नहीं जानता, नहीं मानता। वृहदारण्यक में ऋषि कहता है :
अथ योऽन्यां देवताम् उपास्ते अन्योऽसौ अन्योऽहम् अस्मीति
न स वेद, यथा पशुरेवं स देवतानाम् । ' 'जो व्यक्ति अपने से अन्य और बाहर के किसी देवता की उपासना करता है, जो ऐसा मानता है कि वह अन्य है और मैं अन्य हूँ, वह भगवान को नहीं जानता। वह देवताओं के पशु के समान है।'
अपने ही ऐश्वर्य से अपरिचित, मैं निरा पशु हूँ, ऐसी कोई भ्रांति तुम्हें कैसे हो गई, त्रिशला ? अपने सम्पूर्ण और सर्व-सम्भव स्वरूप को उपलब्ध होने से पूर्व, कैसे कहीं रुक सकता हूँ? वही यदि भगवान है, तो वह होने को . मैं विवश हूँ । क्या मनुष्य को निपट मनुष्य रह कर कभी चैन आ सका ?
मनुष्य, जो मनस् की सन्तान है, क्या मन की सीमा में ही कभी विरम सका? मन के सुखों, ज्ञानों, वैभवों को हद तक पा कर भी, क्यों इतिहास में यह मनस्-पुरुष सर्वत्र पराजित, म्लान, थका, उदास, दुःखाक्रान्त दिखाई पड़ता है ? चंचल मन के क्षण-क्षण के बदलावों का अन्त नहीं।
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