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पद्मावती। दशार्ण देश के अधिपति राजा दशरथ की प्राणेश्वरी हैं, मेरी मौसी सुप्रभा। ___ : 'मैं नहीं जानता कि इसमें गणतन्त्राधिपति चेटकराज की कोई योजनाबद्ध राजनीति है, या यह मात्र संयोग है । अचरज नहीं, कि इस तरह वैशाली गणतंत्र की स्वातंत्र्याभिमानिनी बेटियों को अपनी अंकशायिनी बना कर, ये राजेश्वर अपने विजय-गर्व को तुष्ट करना चाहते हैं । असलियत जो भी हो, किन्तु यह एक प्रकट तथ्य है कि वैशालिकाएं, इन राजकुलों के भावी सिंहासनधरों की माताएँ बनी बैठी हैं। यह घटना इतनी उजागर है कि इसे मात्र संयोग कह कर नहीं टाला जा सकता । सत्ता-सुरक्षा की राजनीति ही मुझे तो इसमें जाने-अनजाने सक्रिय दीखती है।
· · बड़ा रोचक है राजचक्र का यह चित्रपट । मेरी आंखों के सामने चतुरंग शतरंज की एक अच्छी खासी वाजी जमी हुई है। हार-जीत, सुरक्षा और अधिकार की यह चक्राकार क्रीड़ा सचमुच देखने लायक है।
शिशुनागवंशी महाराज बिम्बिसार, मागध बृहद्रथ और जरासंध के बाद, आर्यावर्त में एकराट् साम्राज्य की स्थापना करने का सपना देख रहे हैं। उनकी महत्वाकांक्षा का अन्त नहीं । योद्धा होने के साथ ही, वे प्रेमी भी हैं। दुर्दान्त पौरुष की प्रतिमा होते हुए भी, अन्तःकरण से वे बहुत कोमल और स्त्रण हैं। भावना, संवेदना, सौन्दर्य-पूजा, स्वप्नशीलता, विलासिता और वीरता का उनमें एक अनोखा संगम है। दर्प और समर्प की ऐसी युति मुश्किल है। एक मृगी की आंख का भोला सौन्दर्य देख कर वे पसीज सकते हैं : पर अगले ही क्षण उसका आखेट भी कर सकते हैं । मुग्ध होकर जिसे वे अपना कण्ठहार बना लें, उसे अगले ही क्षण शूली पर भी चढ़ा सकते हैं।
श्रेणिक के पिता मगधेश्वर उपश्रेणिक ने उत्तर यौवन में इस शर्त पर एक भीलकन्या को ब्याहा था कि उसी का पुत्र राजगद्दी का अधिकारी होगा। सौ अवमानित होकर श्रेणिक, निर्वासन में निकल पड़े । दक्षिणावर्त में भटकते हुए उन्होंने अपनी पुण्यप्रभा से राजपुरोहित सौमशर्मा की सुन्दरी कन्या नन्दश्री का हृदय जीत कर उसे ब्याह लिया। उसी की कोख से जन्मा है अभय राजकुमार, जो आज बिम्बिसार का निजी मंत्री है और मगध साम्राज्य का गोपन मंत्रीश्वर है । वैशाली के किसी चित्रकार द्वारा अंकित चेलना के चित्रपट को देखकर, मगधेश्वर की रातें बेचैन हो उठीं। तब कूट-कौशल में दक्ष अभय राजकुमार गुप्त राहों से चेलना तक जा पहुँचे । श्रेणिक का चित्र चेटक-नन्दिनी को दिखाकर उसे मोहाविष्ट कर दिया और उसका हरण कर लाये । चेलना को पट्ट महिषी बना कर बिम्बिसार
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