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प्रश्न:
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जिनवाणी
|| 10 जनवरी 2011 आचार्य कुन्दकुन्द ने द्वादशानुप्रेक्षा' ग्रन्थ में कौन से दस धर्मों की व्याख्या की है? (1) क्षमा, (2) मार्दव, (3) आर्जव, (4) सत्य, (5) शौच, (6) संयम, (7) तप, (8) त्याग, (9)आकिंचन्य और (10) ब्रह्मचर्य। समवायांग एवं तत्त्वार्थ सूत्र में श्रमणों के बाईस परीषह कौन-कौन से बताये गये हैं? (1) क्षुधा, (2) पिपासा, (3) शीत, (4) उष्ण, (5) दंश-मशक, (6) अचेल, (7) अरति, (8) स्त्री, (9)चर्या, (10) निषद्या, (11) शय्या, (12) आक्रोश, (13) वध, (14) याचना, (15) अलाभ, (16) रोग, (17)तृण-स्पर्श, (18) जल्ल, (19) सत्कार-पुरस्कार, (20) अज्ञान, (21) दर्शन, (22) प्रज्ञा। साधुको वस्त्र की गवेषणा किस प्रकार करनी चाहिए? आचारांग के द्वितीय श्रुत स्कन्ध की प्रथम चूला के पांचवें अध्ययन में यह बताया गया है कि वस्त्र की गवेषणा के लिए साधु को अर्धयोजन से अधिक नहीं जाना चाहिए। अपने निमित्त खरीदा गया, धोया गया आदि दोषों से युक्त वस्त्र ग्रहण नहीं करना चाहिए। बहुमूल्य वस्त्र की याचना नहीं करना चाहिए और न प्राप्त होने पर ग्रहण करना चाहिए। निर्दोष एवं सादा वस्त्र की कामना, याचना एवं ग्रहण करना श्रमण के लिए कल्पता है। वस्त्र को धोना व रंगना निषिद्ध है। वस्त्र की गवेषणा करते समय तथा वस्त्र का उपयोग करते हुए इन सब बातों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। उत्तराध्ययन के सतरहवें अध्ययन में साधुओं की अनासक्ति के विषय में क्या कहा गया है? उत्तराध्ययन के सतरहवें अध्ययन में कहा गया है कि साधु अलोलुप, रस में अगृद्ध, जिह्वाजयी एवं अमूर्च्छित होता है और अपने लक्ष्य बिन्दु पर एकाग्र होकर चलता है। अनासक्ति उसके जीवन का मूलाधार होती है। 'साधु हमेशा अकेला रहता है'- इस कथन का क्या आशय है? साधु भीतर में स्थित अपने विकारों से अकेला ही लड़ता है। वह अन्य साधुओं के साथ रहकर भी विकार-विजय की साधना हेतु स्वयं सजग रहता है। जो परिचय नहीं करता, वह भिक्षु है- यह कथन किस प्रकार सही है? जो साधु परिचय नहीं करता, वह भिक्षु है। भिक्षु कोई ऐसा परिचय नहीं करता, जिससे उसे सुविधाएँ मिलें। आराम मिले, सुख मिले। उसका मार्ग सुविधा-भोग का मार्ग नहीं है। वह कंटकाकीर्ण रास्ता है। वह सुविधा की याचना नहीं करता, असुविधा या संकट में विचलित नहीं होता। संकट में वह परीक्षित होता है और हर आपदा को उपसर्ग को एक सुविधा मानता है, आध्यात्मिक संपदा की तरह स्वीकार करता है। पंडित मरण को समाधिमरण क्यों कहते हैं?
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