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जिनवाणी
10 जनवरी 2011
अभी चलना है बाकी..... मधुरव्याख्यानी श्री गौतममुनि जी म. सा.
गुरु ने राह दिखाई, अभी चलना है बाकी, राही तुम भूल न जाना, अभी मंजिल है बाकी।
. गुरु ने..... मधुर व्यवहार हो अपना, मधुरता हो वचन में, टूटे ना दिल किसी का, बसे वो प्रेम मन में। क्षमा का पाठ पढ़ा है, अभी सहना है बाकी ।
गुरु ने..... नहीं दे दोष किसी को, यदि विपदा भी आए, किये जो कर्म मैंने, उदय वो आज आए। खेल कर्मों का समझें, अभी बचना है बाकी॥
गुरु ..... जन्म-जन्मों से भटके, आत्म-हित को न समझा, मार्ग सच्चा भुलाकर, रहा पर में ही उलझा। आज सद्बोध मिला है, सफल होना है बाकी।
गुरु ने..... जहाँ ना जन्म-मृत्यु, जहाँ ना कष्ट-क्रंदन, चलो उस पार चेतन, जहाँ ना कर्म-बंधन । प्रभु 'गौतम' से कहते, अभी तिरना है बाकी।
गुरु ने.....
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