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• व्यक्तित्व एवं कृतित्व
( १६) स्वाध्याय-सन्देश
[ तर्ज - नवीन रसिया ] करलो श्रुतवाणी का पाठ, भविकजन, मन-मल हरने को ।।टेर।। बिन स्वाध्याय ज्ञान नहीं होगा, ज्योति जगाने को। ___राग रोष की गांठ गले नहीं, बोधि मिलाने को ॥१॥ जीवादिक स्वाध्याय से जानो, करणी करने को।।
बंध मोक्ष का ज्ञान करो, भव भ्रमण मिटाने को ।।२।। तुगियापुर में स्थविर पधारे, ज्ञान सुनाने को ।। __सुज्ञ उपासक मिलकर पूछे, सुरपद पाने को ।।३।। स्थविरों के उत्तर थे, सब जन मन हर्षाने को।
गौतम पूछे स्थविर समर्थ हैं, उत्तर देने को ।।४।। जिनवाणी का सदा सहारा, श्रद्धा रखने को।
बिन स्वाध्याय न संगत होगी, भव दुःख हरने को ॥५॥ सुबुद्धि ने भूप सुधारा, भव-जल तिरने को। ___ पुद्गल परिणति को समझाकर, धर्म दीपाने को ॥६।। नित स्वाध्याय करो मन लाकर, शक्ति बढ़ाने को।
'गजमुनि' चमत्कार कर देखो, निज बल पाने को ।।७।।
स्वाध्याय-महिमा [ तर्ज- ए वीरो उठो वीर के तत्त्वों को अपनायो ] हम करके नित स्वाध्याय, ज्ञान की ज्योति जगाएंगे ।
अज्ञान हृदय का धो करके, उज्ज्वल हो जाएंगे ॥१॥ श्री वीर प्रभु के शासन को, जग में चमकाएंगे।
सत्य-अहिंसा के बल को, जन-जन समझाएंगे ॥२॥ घर-घर में ज्ञान फैलायेंगे, जीवादिक समझेंगे।
कर पुण्य-पाप का ज्ञान, सुगति पथ को अपनाएंगे ॥३॥ श्रेणिक ने शासन सेवा की, जिन पद को पाएंगे।
हम भी शासन की सेवा में, जीवन दे जाएंगे ।।४।।
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