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• प्राचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा.
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करुणा एवं दया का सतत प्रवाही निर्भर सदा प्रवहमान रहता था। उनके सदुपदेशों से स्थापित बाल शोभा अनाथालय, महावीर विकलांग समिति, वर्द्धमान जैन मेडिकल रिलीफ सोसायटी, भूधर कुशल धर्म बन्धु कल्याण कोष, अमर जैन मेडिकल रिलीफ सोसाइटी, जीवदया, अमर बकरा, महावीर जैन रत्न कल्याण कोष, महावीर जैन हॉस्पिटल आदि अनेक संस्थाएँ इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य निष्पादित कर रही है। हजारों जरूरतमन्द इससे लाभान्वित हो रहे हैं।
इस प्रकार स्व० पू० गुरुदेव की देन हर क्षेत्र में अद्भुत, अपूर्व रही है। हर क्षेत्र में नये-नये कीर्तिमान स्थापित हुए हैं। हृदय की असीम आस्था एवम् अनन्त श्रद्धा के साथ अत्यन्त भक्ति बहुमानपूर्वक स्व० पूज्य गुरुदेव को अनंतअनंत वन्दन ।
-केकड़ी (राजस्थान)
अमृत करण
• सावधानी से की गई क्रिया ही फलवती होती है। • जिनका चित्त स्वच्छ नहीं है, वे परमात्म-सूर्य के तेज को ग्रहण नहीं कर
सकते। • ज्ञान एक रसायन है जिससे आत्मा की शक्ति बढ़ती है। • दया करना एक प्रकार से साधु-वृत्ति का अभ्यास है। • आन्तरिक विजय प्राप्त करने के लिए शास्त्र-शिक्षा की आवश्यकता है। • समाज को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए संघधर्म आवश्यक है। • स्वाध्याय से चतुर्विध संघ में ज्योति आ सकती है।
-प्राचार्य श्री हस्ती
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