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• व्यक्तित्व एवं कृतित्व
परिषद् में दिगम्बर, मन्दिरमार्गी, तेरापंथी, स्थानकवासी व जैनेतर विद्वान् भी सम्मिलित हैं। परिषद् से समाज में एकता व प्रेम बढ़ाने में बड़ा सहयोग मिला है।
(३) सम्यगज्ञान प्रसार एवं ज्ञानसाधनार्थ केन्द्र की स्थापना-सम्यग्ज्ञान का अधिकाधिक प्रसार हो एवं समाज में ज्ञानी साधक तैयार हों, इस हेतु आपकी सप्रेरणा से अनेक संस्थाएँ स्थापित हुई हैं जिनमें मुख्य इस प्रकार हैं
(i) सम्यगज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर-यह लगभग पचास वर्षों से निरन्तर जीवन निर्माणकारी साहित्य प्रकाशन का कार्य कर रहा है। इसके द्वारा मासिक पत्रिका 'जिनबाणी' का भी प्रकाशन होता है।
(ii) श्री महावीर जैन स्वाध्याय विद्यापीठ, जलगांव-जैन धर्म एवं जैन दर्शन के चारित्रनिष्ठ शिक्षक एवं प्रचारक तैयार करने के लिए इसकी स्थापना की गई है।
(iii) श्री जैन रत्न माध्यमिक विद्यालय, भोपालगढ़ । (iv) श्री जैन रत्न पुस्तकालय, जोधपुर । (v) प्राचार्य श्री विनयचन्द्र ज्ञान भण्डार, जयपुर । (vi) आचार्य श्री शोभाचन्द्र ज्ञान भण्डार, जोधपुर । (vii) श्री वर्धमान स्वाध्याय जैन पुस्तकालय, पिपाड़ सिटी।
(viii) श्री जैन इतिहास समिति, जयपुर-इसके द्वारा 'जैन धर्म का मौलिक इतिहास' चार विशाल भागों में प्रकाशित हो चुका है । यह प्राचार्य श्री की साहित्यिक साधना की विशिष्ट देन है ।
(ix) श्री सागर जैन विद्यालय, किशनगढ़ । (x) श्री जैन रत्न छात्रालय, भोपालगढ़। (xi) श्री कुशल जैन छात्रालय, जोधपुर ।
(xil) जैन सिद्धान्त शिक्षण संस्थान, जयपुर-सन् १९७३ में इसकी स्थापना की गई थी, जो अपने उद्देश्य प्राकृत भाषा एवं जैन विद्या के विद्वान् तैयार करने को, सफलतापूर्वक निभा रहा है।
(४) आध्यात्मिक उत्तम साहित्य का सृजन-देश में सम्यग्ज्ञान की ज्योति जलाकर अज्ञान एवं मिथ्यात्व के अंधकार को मिटाने हेतु आपने वर्षों मागम व इतिहास के सृजन, संवर्धन, एवं संपोषण के लिए नियमित घंटों समय
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