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कर्म सिद्धान्त और आधुनिक विज्ञान ]
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कुछ बुराई है और बुराइयों के मध्य जो देखता है कि कहीं न कहीं पर कुछ अच्छाई भी है, वही कर्म के रहस्य को जानता है । इसलिये हम कितनी भी कोशिश क्यों न करलें, कोई भी कार्य पूर्णतया शुद्ध या अशुद्ध नहीं हो सकता ।
दूसरों के प्रति लगातार अच्छे कार्य करने के जरिये हम अपने को भूलने का प्रयास करते हैं । यह अपने को भूलना ही वह बहुत बड़ा सबक है जो हमें अपनी जिन्दगी में सीखना चाहिये । अपने को भूलने की यह अवस्था ही ज्ञान, भक्ति और कर्म का अपूर्व संयोग है, जहां पर "मैं" नहीं रहता ।
इस जन्म में देखी जाने वाली सब विलक्षणतायें न वर्तमान जन्म की कृति ही का परिणाम है, न माता-पिता के केवल संस्कार का ही, और न केवल परिस्थिति का ही । इसलिये आत्मा के अस्तित्व को गर्भ के आरम्भ समय से और भी पूर्व मानना पड़ता है, जिससे अनेक पूर्व जन्म की परम्परा सिद्ध होती है, क्योंकि अपरिमित ज्ञान-शक्ति एक जन्म के अभ्यास का फल नहीं हो सकती । इस प्रकार आत्मा अनादि है और इस अनादि तत्त्व का कभी नाश नहीं होता । गीता में सच ही कहा है
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न जायते म्रियते व कदाचिन्नाय भूत्वा भविता न भूयः । अजो नित्यं शाश्वतोयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥
और "नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः " - इस सिद्धान्त को सभी दार्शनिक व अब आधुनिक वैज्ञानिक मानते हैं ।
पुनर्जन्म का मूल कारण विभिन्न प्रकार के शुभाशुभ कर्म ही हो सकते हैं, जिनके फलस्वरूप प्राणिमात्र को तारतम्य या वैषम्य से जन्म से मृत्युपर्यन्त सुख-दुःख भोगने पड़ते हैं । पूर्वजन्म के संस्कार मन में रहते हैं । उन संस्कारों को उद्भासित करने वाला देश, काल, अवस्था, परिस्थिति आदि कोई भी पदार्थ जैसे ही सामने आता है, संस्कार उद्भासित हो जाते हैं और प्राणी को पूर्व जन्म के अभ्यास से उस कार्य में प्रवृत्त कर देते हैं ।
प्राध्यापक हक्सले का कथन है कि विकासवाद के सिद्धान्त की तरह देहान्तरवाद सिद्धान्त भी वास्तविक है । कुलक्रमागत संक्रमण के प्रवक्तामानवीय आत्मा के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करते। उनके मतानुसार अपने वंशजों में कोषारणुगत संक्रमण की प्रक्रिया द्वारा मनुष्य अमर बन सकता है । यदि यह सही है तो आइन्स्टाइन या गाँधी के वंशजों को हम आइन्स्टाइन या गाँधी के समान ही क्यों नहीं देखते ? इसलिए पूर्णता प्राप्त करने के संदर्भ में विकासवाद का सिद्धान्त पुनर्जन्म और कर्म सिद्धान्त की प्रक्रिया द्वारा संतोषजनक और अपेक्षाकृत उत्तम तरीके से समझा जा सकता है ।
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