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प्राचीन स्थितिका अन्वेषण
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दोनों ऋषि उसकी बात मान गये। किन्तु याज्ञवल्क्य जनकके पास गया और उससे ज्ञान दानकी प्रार्थना की। (हि. इं० लि. ( विन्ट० ) जि० १, पृ० २२७-८)। ____ उपनिषदोंमें बारम्बार यह कहा गया है कि राजा अथवा क्षत्रियों के पास सर्वोच्च विद्या थी छौर ब्राह्मण उसे प्राप्त करनेके लिये उनके पास जाते थे।
छा० उप० (५-३ ) में एक संवाद इस प्रकार है--आरुणिका पुत्र श्वेतकेतु पाञ्चाल देशके लोगोंकी सभामें आया । उससे जीवलके पुत्र प्रवाहणने पूछा-कुमार ! क्या पिताने तुझे शिक्षा दी है ? उसने कहा-हाँ भगवन् ।
क्या तुझे मालूम है कि इस लोकसे जानेपर प्रजा कहाँ जाती है ?
नहीं, भगवन् ! क्या तू जानता है कि वह फिर इस लोकमें कैसे आती है ? नहीं, भगवन् !
देवयान और पितृयान-इन दोनों मार्गोंका पारस्परिक वियोग स्थान तुझे मालूम है ?
नहीं, भगवन् ! तुझे मालूम है कि यह पितृलोक भरता क्यों नहीं है ? नहीं भगवन् !
इत्यादि सभी प्रश्नोंका उत्तर नकारमें सुनकर प्रवाहणने श्वेतकेतुसे कहा-'तो फिर तू अपनेको 'मुझे शिक्षा दी गई है। ऐसा क्यों कहता था ? जो इन बातोंको नहीं जानता वह अपनेको शिक्षित कैसे कहता है ?
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