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प्राचीन स्थितिका अन्वेषण
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दिखाई दिये । ( राजसूय यज्ञमें यजमान जुआ खेलाता है ) । एक स्थानपर कलिने एक कामुकको सजातीया, विजातीया, गम्या, अगम्या सभो स्त्रियोंको भोगते हुए देखकर संतोष किया कि यहाँ मेरी गति है, किन्तु उस कामुकको वामदेव्य मुनिके द्वारा उपदिष्ट ब्रह्मविद्याका उपासक जानकर खेद हुआ । '
'अग्निष्टोम यागको देखकर उसे बहुत कष्ट हुआ, पौर्णमास यागको देखकर उसे मूर्छा आगई और सोमयागको देखकर उसने अपनी मृत्यु ही समझ ली । एक जगह ब्राह्मणोंको परस्परका छुआ हुआ उच्छिष्ट खाते हुए देखकर उसे परम सन्तोष हुआ । किन्तु जब उसे ज्ञात हुआ कि ये लोग हविशेष सोमका भक्षण कर रहे हैं तो सिर घुनने लगा क्योंकि सोममें उच्छिष्ट नहीं माना जाता । एक स्थान पर गौवध होता देखकर कलि उस ओर दौड़ा । किन्तु जब उसे ज्ञात हुआ कि यह तो अतिथियोंके लिये मारी जा रही है तो बेचारा अपना सा मुँह लेकर लौट आया।
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आगे एक मनुष्यको आत्मघात करते हुए देखकर कलिको बड़ा आनन्द हुआ । किन्तु जब उसे ज्ञात हुआ कि यह सर्वस्वार यज्ञकर्ता है तो उसे बड़ी व्यथा हुई । जिसकी मृत्यु निकट होती है और जो असाध्य रोगसे पीड़ित होता है वही इस यज्ञका अधिकारी है । वह पशुमंत्रों के द्वारा अपना ही, संस्कार करके तथा आत्मघात करके सर्वस्वार नामक यज्ञ में अपनेको होम देता है । आगे 'महाव्रत नामक यज्ञमें एक ब्रह्मचारीको दुराचारिणी स्त्रीके साथ मैथुन करते हुए देखकर कलिने यज्ञको विटोंका
१. 'राजसूये यजमानोऽक्षैः दीव्यति ।' २. 'वामदेव्योपासने सर्वाः स्त्रिय उपसीदन्ति' इति श्रुतिः । ३. 'महाव्रते ब्रह्मचारि - पुश्चल्योः संप्रवादः' ।
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