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________________ ३२४ जै० सा० इ०-पूर्व पीठिका सुखमें मग्न हो गया और राज्यका कुल भार अपने मंत्री योगन्धरायणको सौंप दिया। तब मंत्रीने उदयनका राज्य बढ़ानेका विचार करते हुए सोचा कि हमारा एक शत्रु मगधराज प्रद्योत है, उसकी कन्या पद्मावतीकी याचना करने से वह हमारा मित्र हो जायेगा। आगे उसने वासवदत्ताको छिपाकर उक्त प्रकारसे पद्मावतीके साथ उदयनका विवाह करा दिया। नाटक तथा कथाके उक्त आख्यानसे तो यही प्रकट होता है कि पद्मावतीके साथ विवाहके समय उदयन तरुण होना चाहिये और वासवदत्ताके द्वारा पद्मावतीको अपने पिता प्रद्योतकी बहू बनानेकी बात कहनेसे तो प्रद्योत उस समय वृद्ध प्रमाणित नहीं होता है। चूँ कि प्रद्योतकी पुत्री वासवदत्ता उदयनसे विवाही थी इसलिये प्रद्योत और उदयनकी अवस्थामें बीस बरसका अन्तर तो होना ही चाहिये; क्योंकि वासवदत्ताके विवाह के समय उसके दोनों भाई पालक और गोपाल भी तरुण थे। अतः पद्मावतीके विवाहके समय प्रद्योतकी अवस्था ५० वर्ष और उदयनकी अवस्था तेंतीस बर्षे होना चाहिये। किन्तु अवन्तीपति प्रद्योत मगधराज श्रेणिक और उसके पुत्र अजातशत्रुका समकालीन था। यदि यह मान लिया जाय कि प्रद्योत श्रेणिककी तरह १५ वर्षकी अवस्थामें गद्दी पर बैठा और वह श्रेणिकपुत्र अभयकुमारका समवयस्क था, क्योंकि कुमारपाल प्रतिबोधके अनुसार अभयकुमारने प्रद्योतको बन्दी बनाया था, तो अजातशत्रुकी मृत्युके समय (ई० पू० ५२० अनुमानित) उसकी अवस्था ८० वर्षकी और वत्सराज उदयनकी अवस्था ६० वर्षकी होना चाहिये । ऐसी वृद्धावस्थामें पद्मावतीके साथ उदयनके विवाहको रचानेमें वासवदत्ताका सहयोग, पद्मावती का उदयनके प्रति आकर्षण और महाराज दर्शकका पद्मावतीके Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003837
Book TitleJain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages778
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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